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Dementia: रेड मीट खाने वाले हो जाएं सावधान! हो सकता है हृदय रोग और भूलने की बीमारी

Red Meat Side Effects: रेड मीट खाने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी धमनी रोग और स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं. इससे रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है और शरीर के कई हिस्सों में सूजन भी हो सकती है.  

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Dementia: रेड मीट खाने वाले हो जाएं सावधान! हो सकता है हृदय रोग और भूलने की बीमारी
Raj Rani|Updated: Aug 08, 2024, 01:52 PM IST
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Red Meat Side Effects: हाल ही में एक रिसर्च में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया है कि रेड मीट खाने से डिमेंशिया हो सकता है. अल्जाइमर एसोसिएशन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के इस शोध में कहा गया कि जो लोग ज्यादा प्रोसेस्ड रेड मीट खाते हैं उनमें डिमेंशिया का खतरा काफी ज्यादा होता है, जानिए रेड मीट और डिमेंशिया के बीच क्या संबंध है-

रेड मीट खाने से भूलने की बीमारी क्यों होती है?
विशेषज्ञों के मुताबिक प्रोसेस्ड रेड मीट और डिमेंशिया के बीच संबंध हो सकता है. इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है और अधिक मात्रा में खाने से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल प्लाक जमा हो सकता है. इससे धमनियां सिकुड़ सकती हैं यानी एथेरोस्क्लेरोसिस हो सकता है और मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है.

रेड मीट खाने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है
रिपोर्ट्स के अनुसार इस शोध में 130,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया था. इसमें पाया गया कि जो लोग रोजाना प्रसंस्कृत मांस खाते हैं उनमें मनोभ्रंश का खतरा 14% अधिक था. इसके साथ ही रोजाना अखरोट, बादाम आदि खाने वालों में इस बीमारी का खतरा 20 प्रतिशत तक कम पाया गया. 

रेड मीट खाने से हो सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां!
रेड मीट खाने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी धमनी रोग और स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं. इससे रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है और शरीर के कई हिस्सों में सूजन हो सकती है. रक्त वाहिकाओं की पुरानी सूजन और शिथिलता से मनोभ्रंश हो सकता है.

रेड मीट से कैसे बढ़ता है डिमेंशिया का खतरा 
विशेषज्ञों के अनुसार, जब मांस को ग्रिलिंग, फ्राई या ब्रोइलिंग जैसे तरीकों से पकाया जाता है, तो हेट्रोसाइक्लिक एमाइन (एचसीए) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) जैसे खतरनाक रसायन बनने लगते हैं, जो मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन का कारण बन सकते हैं इससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और मस्तिष्क तेजी से बूढ़ा होने लगता है. जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.

मनोभ्रंश को कैसे रोकें
शोध से पता चलता है कि प्रसंस्कृत लाल मांस के बजाय नट्स और फलियां खाने से मनोभ्रंश का खतरा कम हो सकता है. इन दोनों में आवश्यक पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.
(Disclaimer- लेख में दी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. ZeePHH इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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