Indian Muslim Soldiers: पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर से बौखला गया है और भारत पर ड्रोन अटैक कर रहा है, जिसे भारतीय फौज नाकाम कर रही है और जवाबी कार्रवाई भी कर रही है, जिससे पाकिस्तान घबराया हुआ है. ऐसे में सोशल मीडिया पर एक नाम की खूब चर्चा हो रही है और लोग कह रहे हैं कि जब भी दुश्मनों ने इस देश पर नजर डाली है, भारत के मुसलमानों ने दुश्मनों के हौसले को पस्त कर दिया और भारत के तिरंगे उनके सीने पर फहरा दिया. वो नाम कोई और नहीं बल्कि कर्नल सोफिया कुरैशी का है जो सोशल मीडिया पर गूंज रहा है. सोफिया जब भी प्रेस ब्रिफिंग के लिए आती हैं तो लोग उनकी बातें बड़े चाव से सुन रहे हैं और कह रहे हैं कि सोफिया देश की शान हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सिर्फ सोफिया ही नहीं भारत और पाकिस्तान के कई युद्धों में मुसलमानों ने काफी अहम भूमिका निभाई है.
1947-48 के जंग में मुसलमानों की भूमिका
साल 1947 में देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अगल मुस्लिम मुल्क बना, उसी समय कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव शुरू हो गया और पाकिस्तान ने उस वक्त भी नापाक हरकत की और पाकिस्तान समर्थित कबायली (Tribal Militia) और सेना के कुछ दस्ते को अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर हमला किया और कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया, उस वक्त कश्मीर के राजा हरि सिंह थे और कश्मीर एक आजाद रियासत था. जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया, तो राजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर दस्तखल किए. इसके बाद भारतीय फौज ने मोर्चा संभाल लिया और पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए. इस जंग में पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई और इस जंग के हीरो भारतीय फौज के अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद उस्मान बने.
लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद उस्मान
लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद उस्मान भारतीय फौज के एक जांबाज़ और बहादुर अफसर थे. साल 1947-48 की भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में दुश्मन के खिलाफ मोर्चा संभाला और पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए. मोहम्मद उस्मान ने पाकिस्तानी हमलों को नाकाम किया और सैकड़ों दुश्मनों को मार गिराया. उन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाता है. वो देश के लिए शहीद होने वाले सबसे सीनियर अफसर थे. उनकी वीरता और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. आज भी उनकी शहादत भारतीय सेना और देश के लिए प्रेरणा है.
साल 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में हवलदार अब्दुल हमीद की भूमिका
हवलदार अब्दुल हमीद भारतीय फौज के के वो शेर थे, जिनकी बहादुरी की गाथा आज भी हिंदुस्तान में सुनाया जाता है. India Pakistan War 1965 में अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी फौजियों के नाक में दम कर दिया था और फौज के पैटन टैंकों को तबाह कर दिया था और उसके परखच्चे उड़ा दिए थे. अब्दुल हमीद ने छोटी सी गन जीप पर सवार होकर अकेले 7 पाकिस्तानी पैटन टैंकों को उड़ा दिया था. उनके इस साहसी काम के लिए मरणोपरांत भारत का सबसे सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था. अब्दुल हमीद ने अपनी जंग के मैदान में अपनी जान देकर मुल्क की हिफाजत की और अमर हो गए. आज भी हवलदार अब्दुल हमीद की वीरता पर हिंदुस्तान को नाज है.
बांग्लादेश आजाद कराने में तीन मुस्लिम अधिकारियों की अहम भूमिका
भारत पाकिस्ता के इस जंग को बांग्लादेश मुक्ति युद्ध 1971 युद्ध के नाम से जाना जाता है. इस युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर कर दिया. इस जंग में भी भारतीय मुस्लिम सैनिक और अफसरों ने भी अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए. इस युद्ध में कैप्टन मोहम्मद तैयब, मेजर मीर मुश्ताक अहमद, लेफ्टिनेंट सलीम अली जैसे अफसरों की बड़ी अहम भूमिका निभाई थी. इन अफसरों ने अपनी-अपनी टुकड़ियों की अगुआई की और पाकिस्तानी सैनिकों पानी पिला दिया. जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, ग्रेनेडियर्स, और राजपुताना राइफल्स की मुस्लिम कंपनीज़ ने ढाका तक फतह में अहम रोल निभाया.
बांग्लादेश मुक्ति युद्ध 1971
1947 में जब भारत को आज़ादी मिली तो भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया. एक था पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा था पश्चिमी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान को अब बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. दरअसल, पश्चिमी पाकिस्तान के राजनीतिक नेता पूर्वी पाकिस्तान के लोगों और नेताओं का शोषण करते थे और उन्हें सत्ता में भागीदारी देने से मना कर देते थे. इससे वर्तमान बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) के लोग और नेता नाराज़ हो गए और 1971 में उन्होंने पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया. इस विद्रोह को दबाने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान ने लाखों लोगों की हत्या कर दी. उस समय तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान की दमनकारी नीति को दबाने के लिए अपने सैनिकों को वर्तमान बांग्लादेश भेजा और पाकिस्तान को 1971 दो हिस्सों में बांट दिया.
साल 1999 के जंग में कैप्टन हनीफ उद्दीन की भूमिका
कैप्टन हनीफ उद्दीन भी भारतीय फौज के जांबाज़ और बहादुर अफसर थे. उन्होंने 1999 की कारगिल जंग में दुश्मनों को नेस्तानाबूद कर दिए और आखिरी सांस तक पाकिस्तान के खिलाफ लड़े. कैप्टन हनीफ देश की मिट्टी की हिफाजत करते हुए शहीद हो गए. वह राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट में तैनात थे. आज भी उनकी बहादुरी और जज्बे की मिसाल फौज में दी जाती है. कैप्टन हनीफ दिल्ली के रहने वाले थे. पढ़ाई के बाद उन्होंने सेना में अफसर बनने का सपना पूरा किया. कारगिल जंग में जब पाकिस्तान ने भारतीय पोस्ट पर कब्जा कर लिया था, तब हनीफ उद्दीन को दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में भेजा गया. बर्फीली चोटियों और बेहद मुश्किल हालात में उन्होंने अपने साथियों के साथ दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया.
अब कर्नल सोफिया बनीं देश की हीरो
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने सौलानियों की गोली मारकर हत्या कर दी. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया और पाकिस्तान में छिपे आतंकियों को ठिकाने को तबाह कर दिया. इसके बाद से ही भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय फौज में मुस्लिम कर्नल सोफिया कुरैशी अहम भूमिका निभा रही हैं और पाकिस्तान के नापाक हरकतों की पल-पल अपडेट दे रही हैं. जैसे ही विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रिंफिंग हो रही है तब तब सोफिया को लोग बड़े चाव से सुन रहे हैं.