trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02827867
Home >>Salaam Crime News

UK: डुबाकर हुई थी जिम ट्रेनर वसीम की हत्या; 10 माह बाद 6 पुलिसकर्मी के खिलाफ दर्ज होगा केस

Wasim Death Case: वसीम का शव 25 अगस्त 2024 को हरिद्वार के माधोपुर इलाके में एक तालाब में मिला था. पुलिस का दावा है कि वसीम गोमांस लेकर कहीं जा रहा था और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के डर से वसीम तालाब में कूद गया और उसकी मौत हो गई. अब हाईकोर्ट ने बड़ा दावा किया है.

Advertisement
UK: डुबाकर हुई थी जिम ट्रेनर वसीम की हत्या; 10 माह बाद 6 पुलिसकर्मी के खिलाफ दर्ज होगा केस
Tauseef Alam|Updated: Jul 05, 2025, 07:30 PM IST
Share

Wasim Death Case: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में एक मुस्लिम जिम ट्रेनर वसीम को पुलिस ने 25 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने बताया था कि वसीम गौ तस्कर है और सूचना मिलने पर उसे गिरफ्तार किया गया. जब पुलिस वसीम को थाने ले जा रही थी, तो वसीम ने पुलिस को चकमा देकर तालाब में छलांग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गई. हालांकि, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता था कि वसीम के हाथ और पैर रस्सी से बांधे गए थे. इसी हालात में वसीम को तलाब से निकाला गया था.

इस घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे थे और घटना में शामिल सभी आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी, लेकिन स्थानीय और उत्तराखंड पुलिस ने किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया है. अब 10 महीने बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद परिजनों को न्याय की उम्मीद जगी है.

क्या हुआ था उस दिन
रिपोर्ट के मुताबिक, वसीम का शव 25 अगस्त 2024 को हरिद्वार के माधोपुर इलाके में एक तालाब में मिला था. पुलिस ने उस समय दावा किया था कि वसीम "गोमांस" लेकर जा रहा था और जब उसने पुलिस को देखा तो वह भागकर तालाब में कूद गया और डूब गया, लेकिन परिवार इसे झूठ बता रहा था. 

पुलिस पर संगीन इल्जाम
वसीम के रिश्तेदार अलाउद्दीन ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वसीम उस दिन सुबह घर लौट रहा था, तभी उसे सब-इंस्पेक्टर शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी, प्रवीण सैनी और तीन अन्य अज्ञात पुलिसकर्मियों ने रोक लिया. इसके बाद उसे लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा गया और तालाब में फेंक दिया गया.

याचिका में यह भी कहा गया है कि स्थानीय लोगों ने वसीम की चीखें सुनीं और कुछ ने इसका वीडियो भी बनाया. जब ग्रामीणों ने वसीम को बचाने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें धमकाया और कहा कि अगर कोई बीच में आया तो उसे गोली मार दी जाएगी. 

10 महीने बाद भी नहीं हुआ मुकदमा दर्ज
परिजनों ने घटना के फौरन बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. अब 10 महीने बाद कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीर माना है और छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. इस घटना ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या यह वाकई 'बीफ' का मामला था या वसीम को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह मुस्लिम था? यह अब जांच का विषय है, लेकिन न्यायालय का यह आदेश निश्चित रूप से पीड़ित परिवार के लिए न्याय की उम्मीद जगाता है.

Read More
{}{}