Gaza Genocide: इजराइल ने दावा किया है कि उसने गाजा में 93 ट्रक भेजी हैं, जिनमें आटा, बच्चों का खाना और दवाइयां शामिल हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है. UN ने इजराइल की नापाक हरकतों की पोल खोल दी है. UN ने कहा कि 11 हफ्तों की नाकेबंदी के बाद भले ही राहत सामग्री लेकर ट्रक गाजा में दाखिल हुए, लेकिन अब तक वहां लोगों तक कोई मदद नहीं पहुंची है. यानी अब साफ हो गया कि इजरायल गाजा में मासूम फिलिस्तीनियों का नरसंहार करना चाहता है. वहीं, इजरायल के इस कदम से 22 पश्चिमी देश नाराज हैं. खासबात यह है कि इसमें कोई भी मुस्लिम देश नहीं है.
UN ने कहा कि केरेम शालोम क्रॉसिंग के फिलिस्तीनी क्षेत्र में ट्रकों के पहुंचने के बावजूद लोगों को अभी तक कोई सहायता वितरित नहीं की गई है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि एक टीम ने कई घंटों तक इजरायल द्वारा उन्हें क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने का इंतजार किया, लेकिन "दुर्भाग्य से वे हमारे गोदाम तक सहायता पहुंचाने में असमर्थ रहे." संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख टॉम फ्लेचर ने मंगलवार को कहा कि अगर अगले 48 घंटों में गाजा तक सहायता नहीं पहुंची, तो वहां 14,000 बच्चे मर सकते हैं. उन्होंने कहा, "मैं अगले 48 घंटों में इन 14,000 बच्चों को बचाना चाहता हूं."
22 देशों ने इजरायल को दी चेतावनी
इस बीच दुनियाभर के 22 देशों ने मिलकर इजरायल के खिलाफ एक साझा बयान जारी किया है. इन सभी देशों ने कहा कि गाजा में मदद भेजने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए. 22 मुल्कों ने साफ-साफ कहा है कि वहां के लोगों को भूखा और बीमार मरने देना अमानवीय है और इजरायल को हर हाल में मदद पहुंचने देनी चाहिए. खास बात यह है कि इस लिस्ट में एक भी देश मुस्लिम मुल्क नहीं है. यानी साफ हो गया है कि गाजा से मुस्लिम देशों का कोई लेना-देना नहीं हैं.
इन देशों ने जारी किया बयान
यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्लोवेनिया और स्वीडन है. इन देशों ने इजरायल के खिलाफ साझा बयान जारी किया है. जो अब तक इजरायल का समर्थन कर रहे थे. वह अब नेतन्याहू के खिलाफ अपना बयान जारी कर रहे हैं.