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अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर सुनवाई टली, जानें अब कब होगी सुनवाई

Ajmer News: अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर अदालत में चल रही सुनवाई अब 30 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इस मामले को लेकर धार्मिक और कानूनी बहस तेज़ हो गई है, और दोनों पक्ष अदालत में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं.

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अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर सुनवाई टली, जानें अब कब होगी सुनवाई
Zee Salaam Web Desk|Updated: Jul 19, 2025, 04:43 PM IST
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Ajmer News: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे से जुड़े मामले की सुनवाई शनिवार को टल गई. सिविल कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तारीख तय की है. सुनवाई से पहले कोर्ट परिसर और सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के पास अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था. 

वकील योगेंद्र ओझा ने बताया कि न्यायिक अधिकारी के अवकाश पर होने और न्यायिक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर होने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई. उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामलों के विभाग की तरफ से पहले दिए गए आवेदन को आधिकारिक रूप से प्रस्तुत किया गया है और अगली सुनवाई में उन पर बहस की जाएगी.

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि अजमेर दरगाह में मौजूद ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के परिसर में स्थित संकट मोचन शिव मंदिर में बिना किसी रुकावट के पूजा की अनुमति दी जाए.

अजमेर दरगाह समिति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकीलों ने अलग-अलग आवेदन देकर कहा कि गुप्ता ने केस दायर करने से पहले जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. गुप्ता का दावा है कि उनके पास 1250 ईस्वी में लिखा गया प्राचीन संस्कृत ग्रंथ 'पृथ्वीराज विजय' है, जिसमें अजमेर में शिव मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व का जिक्र है.

उन्होंने अदालत में किताब को पेश करने की योजना की घोषणा की है, साथ ही इसके हिंदी अनुवाद को भी प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह इस कानून के दायरे में नहीं आती, क्योंकि इसे कानूनी रूप से "अधिकृत धार्मिक स्थल" के रूप में वर्गीकृत किया गया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण कुमार सेना ने पहले इस कानून पर बहस की है और वे अदालत में सबूत पेश करेंगे. सुरक्षा चिंताओं के कारण, एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर गुप्ता को पुलिस सुरक्षा दी गई है.

अजमेर की सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को गुप्ता की याचिका स्वीकार की और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, अजमेर दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया. इसके बाद, कई पक्षों जैसे अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए. इमरान (बेंगलुरु) और राज जैन (होशियारपुर, पंजाब) ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर किए.

24 जनवरी तक इस मामले में दो सुनवाई हो चुकी हैं. अपनी याचिका में गुप्ता ने 1911 में प्रकाशित किताब 'अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' का हवाला दिया, जिसे रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा ने लिखा था. इस किताब में दावा किया गया है कि दरगाह के निर्माण में एक मंदिर के मलबे का इस्तेमाल हुआ था. साथ ही, यह भी कहा गया है कि दरगाह के गर्भगृह और आसपास के क्षेत्र में पहले एक जैन मंदिर था.

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