Delhi Palestine Protest: फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी ऑर्गनाइजेशन की ओर से शुक्रवार को जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट किया गया. यह प्रोटेस्ट गाजा में इजरायली हमलों के खिलाफ किया गया. इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों समेत बड़ी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया और फिलिस्तीनियों पर हो रहे हमलों की मजम्मत की.
इस धरने के दौरान भारत सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठे. सी.पी.आई. (एम) की मेंबर सुभाषनी अली ने भारत सरकार ने कहा कि गाजा में हो रहे जुल्म के खिलाफ भारत सरकार चुप है. हर रोज वहां बच्चों की जान जा रही है और बेरहम इजराइल लगातार हमले कर रहा है. बता दें, इजराइल में चार दिनों में 700 से ज्यादा लोगों की जान गई है. जिनमें से ज्यादातर बच्चें हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू के प्रेसिडेंट धनंजय ने कहा कि भारत सककार को इस मामले में कोई स्टैंड लेना चाहिए. उन्हें फिलिस्तीन पर हमारे पारंपरिक रुख पर फिर से जोर देना चाहिए. यह संघ अखिल भारतीय छात्र संघ का हिस्सा है, जिसने नई दिल्ली के केंद्र में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था.
उन्होंने कहा,"जिस तरह से इजरायल गाजा पर हमला कर रहा है और सीजफायर के बावजूद एक दिन में 400 से अधिक लोगों को मार रहा है, मुझे लगता है कि यह मानवता और सभी सभ्यतागत मूल्यों पर हमला है."
गाजा की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक मरने वाले फिलिस्तीनियों की तादाद 49,617 पहुंच गई है. इसके साथ ही घायलों का आंकड़ा 112,950 पहुंच गया है. हालांकि, यह आंकड़ा एकदम सटीक नहीं है, क्योंकि कई हजार लोग तो अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं.
इस प्रोटेस्ट में लगभग 500 लोगों ने हिस्सा लिया. जिनमें छात्र और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन जैसे ग्रुप के कई मेंबर्स शामिल थे. महात्मा गांधी भी यहूदी राष्ट्र के बनने के खिलाफ थे. उन्होंने इसे अमानवीय माना था. दशकों तक भारतीय नेता फिलिस्तीन को देश की विदेश नीति का हिस्सा मानते रहे थे.