Palestine: गाजा युद्ध के बाद मध्य पूर्व में सब कुछ बदल गया है. आए दिन मध्य पूर्व में कहीं न कहीं हमले होते रहते हैं. युद्ध से तबाह हुए गाजा पट्टी को सुधारने और लोगों का भविष्य सुरक्षित करने के काम में लगी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी का भविष्य खतरे में है. क्योंकि पहले अमेरिका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी पर बैन लगाया, उसके बाद अब इजरायल ने भी प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके कारण यह स्पष्ट हो गया है कि फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए UNRWA सुचारू रूप से काम नहीं कर पाएगी. इस बीच फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रमुख ने बड़ा बयान दिया है.
फिलिस्तीन में अभी भी हो रहा है काम
फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि हालांकि इजरायली प्रतिबंध ने अभी तक एजेंसी को संचालन बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया है, लेकिन लंबे समय में इसे "अस्तित्व के लिए खतरा" का सामना करना पड़ रहा है. मैं बहुत स्पष्ट रहा हूं कि एजेंसी के सामने आने वाली सभी बाधाओं और दबाव के बावजूद, हमारा उद्देश्य तब तक बने रहना और काम करना है जब तक हमें ऐसा करने से नहीं रोका जाता."
ट्रंप ने किया था बड़ा ऐलान
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह इजरायल ने औपचारिक रूप से UNRWA को अपने क्षेत्र में संचालन करने से प्रतिबंधित कर दिया है. पूर्वी यरुशलम में भी काम बंद है. नए ट्रंप प्रशासन के तहत UNRWA को संयुक्त राज्य अमेरिका से बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ सकता है. हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पड़ोसी अरब देशों में गाजा में लगभग 2 मिलियन फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से बसाने का प्रस्ताव रखा और सुझाव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका गाजा पर दीर्घकालिक नियंत्रण ले.
इजरायल ने लगाए थे संगीन इल्जाम
दरअसल, इजरायल ने इल्जाम लगाया था कि UNRWA के 13,000 कर्मचारियों में से 19 ने हमास हमले में शामिल थे. इसके बाद अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने UNRWA के फंडिंग पर रोक लगा दी थी. अब ट्रंप ने मंगलवार को घोषणा की कि वाशिंगटन UNRWA के लिए फंडिंग फिर से शुरू नहीं करेगा. वहीं, UNRWA का कहना है कि इजरायल ने जो आरोप लगाए हैं वो बिल्कुल निराधार है.