Israeli Exploitation on Palestine: इजराइल की नेतन्याहू सरकार लगातार फिलिस्तीनियों पर जुल्म कर रही है. यहूदी सरकार के जुल्म का एक और मामला हैरान करने वाला मामला सामने आया है. इजराइल ने 10 साल तक जेल में बंद रखने के बाद आज गुरुवार (10 अप्रैल) को फिलिस्तीन कैदी अहमद मनसरा को रिहा कर दिया. अहमद मनसरा को नाफ्हा जेल में रखा गया था.
यहूदी सरकार ने मानवीय संवेदनाओं को शर्मसार करते हुए अहमद मनसरा को जेल से दूर ले जाकर रिहा किया, जबकि अहमद की फैमिली उनके स्वागत में घंटों तक जेल के गेट पर खड़े होकर उनका इंतजार करती रही. फिलिस्तीन के बीरशेबा के रहने वाले एक व्यक्ति ने जब अहमद मनसरा को देखा, तो फौरन उनकी फैमिली को इसकी सूचना दी.
मीडिया में छपी खबर के मुताबिक, फिलिस्तीनी निवासी अहमद मनसरा को इजराइल ने सिर्फ 13 साल की उम्र में गिरफ्तार कर लिया था और दस सालों तक जेल में रखने के बाद 23 साल की उम्र में रिहा कर दिया. इजराइली अधिकारियों के साइकोलॉजिक और फिजिकली टार्चर करने से उनकी मेंटल हेल्थ बिगड़ गई है. बताया जा रहा है कि यहूदी अधिकारियों ने जानबूझकर अहमद मनसरा को जेल के गेट से काफी दूर ले जाकर छोड़ा, जहां उनकी फैमिली इंतजार कर रही थी.
अहमद मनसरा का जन्म 22 जनवरी 2002 को इजराइल के अवैध कब्जे वाले यरुशलम शहर में हुआ था. उनकी फैमिली में 10 लोग हैं. अहमद अपनी पांच बहनों और दो भाइयों में सबसे बड़ा है. 2015 में गिरफ्तारी के समय अहमद की उम्र महज 13 साल थी और वे यरुशलम के न्यू जनरेशन स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे थे.
Ahmed Manasrah, from Jerusalem, will bask in his freedom today after serving a ten-year detention sentence. Manasrah was arrested at the age of 13 and is being freed today at the age of 23. Despite his severe psychological conditions, Israeli settlers have incited against his… pic.twitter.com/Y9vMbl8KdX
— Quds News Network (@QudsNen) April 10, 2025
इजराइली सिक्योरिटी फोर्सेज ने दावा किया था कि अहमद और उनके चचेर भाई हसने चाकू से हमला करने की कोशिश की थी. गिरफ्तारी के दौरान इजराइली सेना ने दोनों बच्चों को गोली मार दी थी, जिसमें हसन की मौत हो गई जबकि अहमद मनसरा घायल हो गए थे. इस घटना की वीडियो भी सामने आई थी, जिसमें इजराइली सेना ने अहमद को घायल अवस्था में जमीन पर नीचे दबाए हुए हैं और वे रोते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
इस घटना की वीडियो फुटेज ने पूरी दुनिया की ध्यान इजराइल की फिलिस्तीनियों पर किए जा रहे जुल्म की तरफ खींचा. कोर्ट ने अहमद को 12 साल की जेल की सजा सुनाई, जिसे बाद में घटाकर साढ़े नौ साल कर दिया गया और साथ ही 47,000 अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया. जुर्माने की राशि को अदा करने के लिए उनकी फैमिली कई परेशानियों से गुजरना पड़ा.
जेल में अहमद मनसरा को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा. इजराइली सेना और वहां के सेटलर्स ने अहमद के साथ मारपीट की, जिससे उनकी खोपड़ी में फ्रैक्चर हो गया था. इतना ही नहीं नाबालिग होने के बावजूद बिना किसी वकील या फैमिली मेंबर की गैर मौजूदगी में इजराइली अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की. इस दौरान उनसे घंटों तक चिल्ला- चिल्ला कर पूछताछ कर दबाव बनाया गया और गाली गलौज की गई. अहमद को प्रताड़ित करते हुए अधिकारी सोने भी नहीं देते थे.
हालिया कुछ सालों में अहमद मनसरा को इजराइली अधिकारियों ने अकेले कैद में रखा. जिससे उनकी मेंटल काफी प्रभावित हुई है. इसकी वजह से अहमद को की गंभीर बीमारियां हो गई हैं. डॉक्टरों ने उन्हें स्किज़ोफ्रेनिया (मनोविकृति) और डिप्रेशन (अवसाद) से पीड़ित बताया है.
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