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'समस्त मुस्लिम खलीफा' पर CBI का शिकंजा, करोड़ों के हेराफेरी में 3 दोषी

Ahmedabad CBI Court on Foreign Funding Case: नवसारी स्थित समस्त मुस्लिम खलीफा सुन्नतवाल जमात ट्रस्ट के खिलाफ सीबीआई ने साल 2017 में चार्जशीट फाइल की थी. इस मामले में कई लोगों की सुनवाई और 40 से अधिक दस्तावेजों और सुबूतों के आधार पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को दोषी ठहराया है.   

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
Zee Salaam Web Desk|Updated: May 10, 2025, 11:02 PM IST
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Gujarat News Today: गुजरात के अहमदाबाद की सीबीआई कोर्ट ने 'समस्त मुस्लिम खलीफा सुन्नतवल जमात' नाम की ट्रस्ट के अध्यक्ष और उसके साथियों को करोड़ों रुपये के हेरफेर के मामले में दोषी ठहराया है. कोर्ट ने आपराधिक साजिश रचने और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेश एक्ट (FCRA) के उल्लंघन के मामले में चारों दोषियों को 3 साल की सजा के साथ कुल 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके अलावा कोर्ट ने ट्रस्ट पर भी 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. 

अहमदाबाद की सीबीआई कोर्ट नंबर-02 के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने नवसारी स्थित ट्रस्ट 'समस्त मुस्लिम खलीफा सुन्नतवल जमात' के तत्कालीन अध्यक्ष यूसुफ अब्दुल शेख और तत्कालीन सचिव फकीर मोहम्मद जमालभाई शेख समेत तीन आरोपियों को आपराधिक साजिश और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेश एक्ट का दोषी पाया है. जिसके बाद कोर्ट ने सभी दोषियों को तीन साल की सजा के साथ 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. 

सीबीआई ने यह मामला 17 जनवरी 2012 को 'समस्त मुस्लिम खलीफा सुन्नतवल जमात नवसारी नाम के ट्रस्ट के खिलाफ दर्ज किया था. यह ट्रस्ट FCRA के तहत रजिस्टर्ड ही नहीं था, इसके बावजूद इसने साल 1998-1999 से लेकर 2010-2011 की अवधि के दौरान 1 करोड़ 12 लाख 58 हजार 600 रुपये का विदेशी अंशदान लगातार अंतराल पर हासिला किया और जिसकी जानकारी दोषियों ने सरकार को नहीं दी. यह FCRA-2010 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है. 

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इस ट्रस्ट ने साल 1998 से 2010-2011 तक लगभग 13 साल की अवधि के दौरान करोड़ों रुपये का विदेशी अंशदान हासिल किया. हालांकि, ट्रस्ट के पदाधिकारी अंशदान के रुप में हासिल की गई रकम के संबंध में तय नियमों के तह जरुरी दस्तावेज और वाउचर नहीं पेश कर सके. जांच पूरी होने के बाद 20 सितंबर 2017 को सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिनमें वे लोग भी शामिल थे जिन्हें कोर्ट ने अब दोषी ठहराया है.

कोर्ट ने 'समस्त मुस्लिम खलीफा सुन्नतवाल जमात, नवसारी' ट्रस्ट और सीबीआई पक्ष को सुनने के बाद ट्रस्ट तत्कालीन अध्यक्ष यूसुफ अब्दुल शेख के जरिये आपराधिक साजिश रचने और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेश एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया गया. कोर्ट ने यूसुफ अब्दुल शेख ट्रस्ट के सचिव फकीर मोहम्मद जमाल भाई पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, साथ प्रत्येक को तीन साल सजा सुनाई है.  

इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट में अभियोजन की तरफ से 14 लोगों की गवाही पेश की गई. इसके अलावा 40 दस्तावेजों के साथ सुबूत के रुप में दूसरी चीजें पेश की गईं. कोर्ट ने इन गवाहों के बयान और पेश के किए गए सुबूतों को पर्याप्त मानते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों को दोषी ठहराया और उनको जेल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया है. 

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