UP Politics: देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन प्रदेश में अभी से विधानसभा चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. मतदाताओं को रिझाने के लिए सियासी दलों की सरगर्मियां बढ़ गई हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) भी उत्तर प्रदेश सियासी पैठ बनाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है.
शनिवार (14 जून) को ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने सूबे की राजधानी लखनऊ में राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया है. तेलंगाना, महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में भी एआईएमआईएम अपनी पार्टी के विस्तार के लिए लगातार कोशिश कर रही है. बीते चुनाव में कई सीटों पर AIMIM के प्रत्याशी सत्तारुढ़ बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बीएसपी जैसे दलों का सियासी समीकरण बिगाड़ चुके हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को सांसदों के डेलिगेशन में शामिल किया, जिन्होंने पाकिस्तानी आतंकी गतिविधियों, साजिशों और भारतीय सेना की कार्रवाई की जरुरत को मजबूती से विदेशी नेताओं के सामने भारत सरकार का पक्ष रखा. इससे मुस्लिम समुदाय के अलावा दूसरे धार्मिक समुदाय में भी AIMIM की सकारात्मक छवि बनकर उभरी है.
इसको भुनाने के लिए AIMIM उत्तर प्रदेश में अपने संगठन को विस्तार देने और सियासी पैठ बनाने के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में AIMIM को बड़ी सफलता दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों पर जोर दिया गया. इस सम्मेलन के बाद ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रदेश शौकत अली पार्टी की आगामी रणनीतियों का खुलासा किया.
बता दें, उत्तर प्रदेश में हमेशा से से मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जाती रही है. हालिया लोकसभा चुनाव में बीएसपी, सुभासपा, सपा, कांग्रेस, आईएनएलडी के साथ दूसरे दलों ने मुस्लिम मतदातओं को रिझाने के लिए कई तरीके अपनाए. वहीं, पिछले चुनाव में एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपना दल (कमेरावादी) और कुछ छोटी पार्टियों के साथ मिलकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया इसका असर कुछ पार्टियों को वोट बैंक पर भी पड़ा.
अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 19 से 23 फीसदी के बीच है. कई जिलों में तो मुस्लिम आबादी 25 फीसदी से भी ज्यादा है. यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स रामपुर (50.57%) हैं. इसके बाद मुरादाबाद (47.12%), बिजनौर (43.04%), सहारनपुर (41.95%), मुजफ्फरनगर (41.30%), अमरोहा (40.78%), बलरामपुर (37.51%), बरेली (34.54%), मेरठ (34.43%), बहराइच (33.53%), श्रावस्ती (30.79%), बागपत (27.98%), गाजियाबाद (25.35%) और सिद्धार्थनगर (29.23%) शामिल हैं.
ये भी पढ़ें: योगी सरकार के निशाने मुस्लिम आस्था! हराइच, बाराबंकी के बाद अयोध्या में भी दादा मियां उर्स रद्द