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आरिश खान की हत्या पर AIMIM की पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश; पुलिस ने रास्ते में रोका

AIMIM Fatehpur Visit: बीते शुक्रवार को आरिश नाम के एक नौजवान की कथित हिंदूवादी संगठन के कुछ नौजवानों ने पीट पीटकर हत्या कर दी. इस घटना के बाद स्थानी मुसलमानों में दहशत फैल गई. दूसरी तरफ आज जब एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें जिले की सीम पर ही रोक दिया. 

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फतेहपुर सीमा पर पुलिस ने AIMIM काफिले को रोका
फतेहपुर सीमा पर पुलिस ने AIMIM काफिले को रोका
Raihan Shahid|Updated: Jul 29, 2025, 08:03 PM IST
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Fatehpur Muslim Youth Murder Case: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में 12वीं के छात्र आरिश खान की हत्या का मामला अब कानून-व्यवस्था से निकलकर सीधे सियासी गलियारों तक जा पहुंचा है. इस घटना के बाद जहां आम लोगों में गुस्सा है, वहीं अब सियासी दल भी इस मुद्दे को लेकर एक्टिव हो गए हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली आज मंगलवार (29 जुलाई) को पीड़ित परिवार से मिलने फतेहपुर पहुंचे, तो उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ पांव फूल गए और उनके काफिले को रोक दिया गया.

AIMIM प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली आज पीड़ित परिवार से मिलने फतेहपुर जा रहे थे. इस दौरान जैसे ही शौकत अली अपने समर्थकों के साथ फतेहपुर जिले की सीमा पर पहुंचे, उन्हें कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बरौरी टोल प्लाजा पर पुलिस के जरिये रोक लिया गया. पुलिस और जिला प्रशासन ने सुरक्षा और स्थिति की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत नहीं दी. इस पर शौकत अली अपने समर्थकों के साथ वहीं धरने पर बैठ गए और विरोध जताया. काफी देर तक मान-मनौव्वल के बाद प्रशासन ने उन्हें वापस लौटा दिया.

क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में 12वीं के छात्र मोहम्मद आरिश खान की संदिग्ध हालात में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. यह घटना उस वक्त हुई जब वह स्कूल से घर लौट रहा था. इसी दौरान बहुसंख्यक समाज के तीन नौजवानों ने उस पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. गंभीर रूप से घायल आरिश को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

पुलिस ने इस मामले में हर्षवर्धन पांडे, दीपक सविता और भरत सरकार नाम के तीन नौजवानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. हालांकि, इसके बाद सोशल मीडिया पर सामने आई कुछ प्रतिक्रियाओं ने लोगों को हैरान कर दिया. कुछ पोस्टों में आरोपियों की रिहाई की बातें की गई, जिससे मुसलमानों में दहशत फैल गई और एक बार फिर मुसलमानों के खिलाफ फैली नफरत को उजागर कर दिया.

सोशल मीडिया पर झाड़ते थे रौब

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी सोशल मीडिया पर रील बनाकर लोगों पर रौब झाड़ने की कोशिश करते थे. यहां तक कि हमले के बाद आरोपियों ने एक-दूसरे से पूछताछ की कि "आरिश मरा या नहीं" और कथित तौर पर जश्न भी मनाया. हालांकि इन बातों की अभी तक स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

घटना के दिन आरिश दोपहर करीब 2:25 बजे स्कूल से निकलकर अपने घर लौट रहा था. रास्ते में काशीराम कॉलोनी के पास तीन आरोपी हर्षवर्धन पांडे, दीपक सविता और भरत सरकार खड़े हुए थे. आरिश को देखते वह उस पर टूट पड़े और लाठी-डंडों से पीट पीटकर मौत के घाट उतार दिया. आरिश का ताल्लुक मुस्लिम समुदाय का होने की वजह से कई हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगों ने हत्या का जायज ठहराते हुए आरोपियों का समर्थन किया. 

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