AIMPLB: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के जरिए 8 दिसंबर 2024 को दिए गए कथित 'आपत्तिजनक' भाषण के खिलाफ राजनीतिक दलों से दखल देने की मांग की है. बोर्ड का कहना है कि जस्टिस यादव का कमेंट संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है.
बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फ़ज़लुर रहीम मुझद्दिदी ने सभी अहम राजनीतिक दलों को खिताब करते हुए लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बीते छह महीनों में इस मामले में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने लिखा कि ऐसा लगता है कि राजनीतिक वर्ग इस गंभीर मुद्दे को लेकर उदासीन बना हुआ है.
जस्टिस यादव ने अपने एक सार्वजनिक भाषण में कहा था कि भारत को बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था. इस बयान को व्यापक तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ माना गया, और सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी थी.
बोर्ड ने अपने पत्र में कहा है कि जज यादव ने अपनी व्यक्तिगत धार्मिक सोच के आधार पर धर्मनिरपेक्षता की एक तोड़ी-मरोड़ी गई और गुमराह करने वाली व्याख्या पेश की, जो कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए सही नहीं है.
मुझद्दिदी ने पत्र में लिखा कि सीखने योग्य न्यायाधीश न सिर्फ़ अपने पद की गरिमा को भूल गए हैं, बल्कि यह भी नजरअंदाज कर बैठे हैं कि भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की बात करता है, जिसमें हर धर्म, संस्कृति और परंपरा के लिए समान स्थान है.
AIMPLB के सचिव ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने राजनीतिक दलों से इस मामले को भारतीय संविधान के तहत तय वैधानिक प्रक्रिया के अनुसार संसद और अन्य मंचों पर उठाने की अपील की है.