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अजमेर पर चढ़ा Eid Milad Un Nabi का रंग; दरगाह पर महफिल-ए-सलाम की तैयारियां शुरू

Eid Milad-un-Nabi in Ajmer: अजमेर शरीफ में पैगंबर मोहम्मद (PBUH) के 1500वें जश्ने ईद मिलादुन्नबी की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस संबंध में अकबरी मस्जिद में सूफी संगठनों और मुस्लिम विद्वानों की बैठक में जुलूस, सुरक्षा और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई. इस बार को आयोजन को भव्य, दिव्य और नव्य बनाने के लिए कई खास इंतजाम किए गए हैं.    

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अजमेर शरीफ दरगाह (फाइल फोटो)
अजमेर शरीफ दरगाह (फाइल फोटो)
Raihan Shahid|Updated: Aug 11, 2025, 07:27 AM IST
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Ajmer Sharif Dargah News: सूफी संस्कृति और इस्लामी विरासत का निशानी अजमेर शरीफ में पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के 1500वें जश्ने ईद मिलादुन्नबी की तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गई है. इस खास मौके को लेकर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह की अकबरी मस्जिद में मुस्लिम विद्वानों और सूफी संगठनों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें ईद मिलादुन्नबी के जलसे और जुलूस को लेकर तफसील से चर्चा हुई.

इस बैठक में सूफी इंटरनेशनल तंजीम के तहत निकाले जाने वाले जुलूस के रूट प्लान और महफिल-ए-सलाम के इंतजामात पर भी गहन विचार विमर्श किया गया. सैय्यद हसन हाशमी ने बताया कि इस बार 12 रबीउल अव्वल को जुमे का दिन होगा, इसलिए सभी आशिके रसूल से अपील की जाएगी कि वे जुलूस में जल्द शामिल हों और जुमे से पहले अपनी मौजूदगी दर्ज करायें ताकि जश्न में भागीदारी बढ़े.

ईद मिलादुन्नबी में क्या होगा खास?

काजी मुनव्वर अली ने बताया कि बैठक में यह फैसला लिया गया है कि इस बार जुलूस में डीजे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा सभी से साफ-सफाई और पाकीजगी का खास ख्याल रखने की भी अपील की जाएगी. अजमेर में यह ईद मिलादुन्नबी की पहली बैठक थी. इसके बाद शहर के दूसरे इलाकों में भी कई मीटिंग रखी जाएंगी, ताकि सभी आशिके रसूल की राय और सुझाव लिए जा सकें.

जुलूस में कुरआन पाक और हदीस शरीफ की लिखी तख्तियां भी शामिल की जाएंगी, जिनके जरिए इस्लाम का पैगाम पूरी दुनिया तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. अंजुमन सैय्यद जादगान के सदस्य सैय्यद फजले हसन चिश्ती के मुताबिक, अजमेर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी हर मजहब के लोगों के मिलन से मनाया जाता है और इस दौरान बड़े पैमाने पर लंगर का भी इंतजाम किया जाता है.

अढ़ाई दिन झोपड़े से निकलेगा जुलूस

जुलूस में करीब 1000 वॉलंटियर एक्टिव रहते हैं. पुलिस सुरक्षा के कड़े इंतजामों के साथ ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाती है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो. यह जुलूस परंपरागत रिवायत के मुताबिक अंदर कोट के अढ़ाई दिन के झोपड़े से शुरू होकर दरगाह के निजाम गेट से गुजरता हुआ बाबा कुतब साहब के चिल्ला शरीफ पर खत्म होता है.

इस बार की तैयारियां धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा, स्वच्छता और शांति के साथ इस्लामी संदेश को आम जन तक पहुंचाने पर फोक्स्ड हैं. अजमेर शरीफ में इस ऐतिहासिक जश्न को भव्य, दिव्य और नव्य रूप से मनाने के लिए मुस्लिम समाज के जरिये सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे यह आयोजन हर साल की तरह यादगार साबित हो. पुलिस प्रशासन ने भी इसे शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराने के लिए कमर कस लिया है. 

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