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Aligarh: जानलेवा हमले की फिराक में थे गौरक्षक; पुलिस दस मिनट देर करती तो नहीं बचती जान

Muslim Mob Lynching in Aligarh: अलीगढ़ में कल कथित गौरक्षकों और असामाजिक तत्वों ने अवैध मांस ले जाने का आरोप लगाते हुए मुस्लिम नौजवानों की बेरहमी से पिटाई की. इसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग सकते में आ गए. सूचना के बाद मौके पर पुलिस पर भी भीड़ ने हिंसक हमला कर दिया.   

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
Zee Salaam Web Desk|Updated: May 26, 2025, 11:16 AM IST
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Aligarh Mob Lynching Case: अलीगढ़ में शनिवार (25 मई) को कथित गोरक्षकों और शरारती तत्वों ने मुस्लिम नौजवानों पर हमला कर दिया. इतना ही नहीं शरारती तत्वों ने पीड़ितों की बेरहमी से पिटाई और उनके ट्रक में आग लगा दी. बताया जा रहा है कि उपद्रवी ट्रक से मांस लेकर जा रहे ड्राइवर और व्यापारियों को किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे. 

मुस्लिम नौजवानों पर हमला करने वाली भीड़ में शामिल सभी लोग जाने पर अमादा थे. अगर पुलिस अधिकारी दस मिनट देरी से पहुंचते तो पीड़ितों की जान भी जा सकती थी. मौके से आरोपियों ने पीड़ितों पुलिस की गाड़ियों पर ले जाने से जबरन रोकने की कोशिश की. हालांकि पुलिसकर्मी ने एंबुलेंस का बहाना बनाकर घायलों को किसी तरह से दूसरी गाड़ी से निकाल अस्पताल पहुंचाया.

इस दौरान शरारती तत्वों की तरफ पीड़ितों को ले जा रही पुलिस पर पथराव भी किया. इस हमले में अकबराबाद के एसओ को भी एक ईंट लगी, जिससे वे घायल हो गए. जिन लोगों ने हमला किया किया था, जिन लोगों ने हमला किया था पुलिस ने उनकी पहचान कर ली है और प्रशासन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में जुटा है. 

मिली जानकारी के मुताबिक, अलीगढ़ एसपी (ग्रामीण) को एलहद्दादपुर स्टेडियम के पास हंगामें की खबर मिली थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए वह पूरी फोर्सक के साथ मौके पर पहुंचे थे. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने देखा कि भीड़ ने चार नौजवानों को घेर रखा है. जिनमें गंभीर रूप से घायल तीन युवक एक प्लॉट की दीवार के पास थे और चौथा पीआरवी गाड़ी के पास बेहोश पड़ा था.

दीवार के पास पड़े युवकों को भीड़ ने घेर रखा था और पीआरवी के सिपाही किसी तरह घायल नौजवान की रक्षा कर रहे थे. अधिकारियों ने माना कि अगर वे थोड़ी देर और कर देते, तो उनकी जान नहीं बचती. घायलों को निकालने के लिए पहले पुलिस ने एंबुलेंस निकाली, लेकिन लोगों को शक हुआ कि घायल उसमें हैं, इसलिए उन्होंने एंबुलेंस को रोक दिया.

एसपी (ग्रामीण) ने सूझबूझ से काम लेते हुए घायलों को दूसरी गाड़ी से दूसरे रास्ते से बाहर निकाल दिया. इस दौरान पुलिस और भीड़ के बीच धक्का-मुक्की भी हुई और असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. जांच में खुलासा हुआ कि शनिवार को हिंसक भीड़ का शिकार बने मांस व्यापारी लाइसेंसधारी थे. वे अलअम्मार मीट फैक्ट्री से मांस ला रहे थे. उनके पास से फैक्ट्री की रसीद भी मिली है. 

जांच में खुलासा हुआ है कि उटरौली के मांस व्यापारियों पर हमला अचानक नहीं हुआ था. इस हमले की पहले से साजिश रची जा रही थी, लेकिन खुफिया तंत्र इसे भांप नहीं पाया. सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय पुलिस को जानकारी थी कि इन व्यापारियों पर कथित गोरक्षकों की नजर है, लेकिन उन्होंने न तो व्यापारियों को सतर्क किया और न ही उनका रास्ता बदला. 

शनिवार को युवकों की पिटाई का वीडियो जिसने भी देखा, वह सन्न रह गया. भीड़ ने तेज गर्मी में पीड़ितों की बेरहमी से पिटाई की, जिससे उनकी जान तक जा सकती थी. उनमें से एक युवक तो बेहोश भी हो गया. कथित गौरक्षकों और शरारती तत्वों के इस रवैये से व्यापारियों के साथ- साथ अल्पसंख्यक समाज के लोगों में दहशत है.

बताया जा रहा है कि 15 दिन पहले भी एक मीट वाहन को पीठी के पास रोका गया था, जिसमें जांच के बाद पाया गया कि वह भैंस का मांस था. इसके बाद अकबराबाद पुलिस ने वाहन छोड़ दिया. यह कार्रवाई शरारती तत्वों को रास नहीं आई. उन्हें यकीन था कि कुछ गड़बड़ हो रहा है, इसलिए उन्होंने और बड़े हमले की साजिश रची.

दूसरी तरफ उपद्रवियों का कहना था कि यह सब कुछ पुलिस की निगरानी में हो रहा है. स्थानीय पुलिस अगर सतर्क होती, तो वह मांस व्यापारियों को सुरक्षा दे सकती थी या उनका रास्ता बदल सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. व्यापारियों और ड्राइवर को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उनके कपड़े फट गए. एक युवक से इतनी बेरहमी से मारपीट की गई कि वह खून से लथपथ हो गया और जान की भीख मांगता रहा, लेकिन भीड़ ने कोई रहम नहीं दिखाई.

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