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श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह विवाद में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला; राधा रानी नहीं होंगी पक्षकार

Allahabad High Court on Krishna Janmabhoomi: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में अब कोर्ट का अहम फैसला सामने आया है.   

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फाइल फोटो
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Zee Salaam Web Desk|Updated: May 27, 2025, 09:30 AM IST
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Krishna Janmabhoomi Shahi Eidgah Masjid Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (26 मई) को एक अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने राधा रानी को पक्षकार बनाने की याचिका को खारिज कर दिया है. 

सूट नंबर 7 के वादी की ओर से मांग की गई थी कि राधा रानी के बगैर भगवान श्रीकृष्ण अधूरे हैं और पूरे ब्रज मंडल में राधा रानी को खास धार्मिक महत्व हासिल है, इसलिए उन्हें भी इस मुकदमे का पक्षकार बनाया जाना जरुरी है. 

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि राधा रानी का जिक्र सिर्फ धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में है, लेकिन उनकी कानूनी स्थिति या स्वामित्व से जुड़ा कोई स्पष्ट साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं है.

वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से इस याचिका का विरोध किया गया. ट्रस्ट के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान नाबालिग विग्रह के रूप में हैं और सम्पूर्ण संपत्ति ट्रस्ट के माध्यम से उनके नाम पर दर्ज है.

पहले भी की जा चुकी है ये मांग

बता दें, इससे पहले मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीते शुक्रवार को सुनवाई हुई थी. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की, जिसका मुस्लिम पक्ष ने पुरजोर विरोध किया था. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अगर ईदगाह को विवादित ढांचा मान लिया गया तो वहां नमाज अदा नहीं हो सकेगी. इसके जवाब में हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि 1992 से पहले वहां नमाज नहीं होती थी.

इसके अलावा राधा रानी को मुकदमे का पक्षकार बनाए जाने की याचिका पर भी बहस हुई थी. कुछ अधिवक्ताओं ने इसे जरूरी बताया, जबिक हिंदू पक्ष ने कहा कि ऐसा करने से मुकदमा अनावश्यक रूप से लंबा हो जाएगा. इसके अलावा कोर्ट में रुक्मिणी जी को भी पक्षकार बनाने की अर्जी दी गई, जिस पर चिंता जताई गई कि ऐसे में भविष्य में कई और नाम जोड़े जा सकते हैं. मामले की अगली सुनवाई अब 4 जुलाई 2025 को होगी.

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