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बेटे का गुनाह, पिता को सजा? पुलिस की मनमानी पर हाईकोर्ट ने कसा शिकंजा, SHO को किया तलब

Allahabad High Court Lucknow Bench: सुल्तानपुर में साल 2023 में एक वकील की हत्या के मामले में पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. नामजद हत्यारोपी अभी भी फरार है. जिसके बाद पुलिस ने उसके पिता के बैंक अकाउंट को सीज कर दिया था. इसको लेकर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का अहम फैसला आया है.  

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच- फाइल फोटो
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच- फाइल फोटो
Zee Salaam Web Desk|Updated: Apr 12, 2025, 08:14 PM IST
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Lucknow News Today: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में अगस्त 2023 में अधिवक्ता आजाद अहमद की हत्या के मामले में नामजद आरोपी सिराज अहमद उर्फ पप्पू अभी भी फरार है. दूसरी तरफ पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है. इसी क्रम में पुलिस ने आरोपी के पिता मंसूर अहमद के बैंक खातों को सीज कर दिया, जबकि वह इस मामले में आरोपी नहीं है. 

पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ मंसूर अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और उन्होंने लखनऊ बेंच में याचिका दायर की. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजन राय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की डबल बेंच ने पुलिस की कार्रवाई पर सख्त नाराजगी जताई. 

'बेटे के अपराध की पिता को सजा क्यों?'

हाईकोर्ट ने तीन दिन के भीतर मंसूर अहमद के बैंक खातों को दोबारा एक्टिव करने का आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए इस बात पर हैरानी जताई कि बेटे के अपराध के लिए पिता को क्यों सजा दी जा रही है.

इतना ही नहीं हाईकोर्ट की बेंच ने इस मामले में संबंधित थाना अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर सफाई देने के निर्देश भी दिए हैं. पहले यह जिम्मेदारी थाना कोतवाली नगर के तत्कालीन प्रभारी कृष्ण मोहन सिंह की थी, जबकि अब सतींदर कुमार सिंह वर्तमान प्रभारी हैं.

कोर्ट ने पुलिसिया कार्रवाई पर उठाए सवाल

मंसूर अहमद के वकील सुखदेव सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि जब मंसूर इस केस में आरोपी नहीं हैं, तो उनके बैंक खाते सीज करने का कोई औचित्य नहीं बनता है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील को स्वीकारते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और पीड़ित पक्ष को राहत प्रदान की. हाईकोर्ट के इस फैसले से मंसूर अहमद को बड़ी राहत मिली है और यह फैसला पुलिस की मनमानी रवैये पर लगाम लगाने की कड़ी में एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. 

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