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मुस्लिम अल्पसंख्यक विरोधी अप्रोच रखने पर फंस सकते हैं DSP अनुज चौधरी; रुक सकता है प्रमोशन

Anuj Chaudhary Promotion: संभल सीओ अनुज चौधरी पर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और धार्मिक पक्षपात के आरोपों के बावजूद एएसपी पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है. पीड़ितों और अधिवक्ताओं ने निष्पक्ष जांच पूरी होने तक पदोन्नति रोकने की मांग की है.

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मुस्लिम अल्पसंख्यक विरोधी अप्रोच रखने पर फंस सकते हैं DSP अनुज चौधरी; रुक सकता है प्रमोशन
Tauseef Alam|Updated: Aug 04, 2025, 05:05 PM IST
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Anuj Chaudhary Promotion: उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित और विवादित पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार वह अपने विवादित बयानों के लिए नहीं, बल्कि अपनी प्रमोशन के लिए चर्चा में हैं. 2012 बैच के पीपीएस अधिकारी और अर्जुन पुरस्कार विजेता अनुज चौधरी जल्द ही अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) बनने वाले हैं. पुलिस विभाग ने 19 अधिकारियों के नाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजी हैं, जिन्हें प्रमोशन दिया जाना है. इसी कड़ी में सीओ अनुज चौधरी के भी नाम अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजे जाएंगे.

अनुज चौधरी को ऐसे वक़्त में पदोन्नति मिलने जा रही है जब उनके खिलाफ गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच अभी भी लंबित है. उनपर  मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैया रखने और ड्यूटी के दौरान पुलिस मैन्युअल का उलंघन करने का भी इल्जाम है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने राज्य मानवाधिकार आयोग में अनुज चौधरी के खिलाफ दो महत्वपूर्ण शिकायतें दर्ज कराई हैं. पहली शिकायत संभल में हुई हिंसा के दौरान हुई चार संदिग्ध मौतों को लेकर है, जिसमें पुलिस की भूमिका पर गंभीर संदेह जताया गया है. 

दूसरी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अनुज चौधरी ने वर्दी में रहते हुए सार्वजनिक रूप से धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया, जो एक सरकारी अधिकारी की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. इन दोनों ही मामलों में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक न तो कोई निष्कर्ष निकला है और न ही पीड़ितों को न्याय की कोई स्पष्ट उम्मीद दिखाई दे रही है.

पदोन्नति प्रक्रिया और न्याय के बीच टकराव
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन गंभीर आरोपों की जांच पूरी होने से पहले ही अनुज चौधरी की पदोन्नति की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है. डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की बैठक में उनके नाम पर सहमति बन चुकी है और अब मुख्यमंत्री की मंज़ूरी का इंतज़ार है. यह स्थिति न सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि सरकार की मंशा और संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करती है.

वाजेह हो कि जब किसी अधिकारी के खिलाफ गंभीर जांच लंबित हो, तो उसे पदोन्नति देना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि उन पीड़ितों के साथ भी अन्याय है जो आज भी अपने सवालों के जवाब पाने के लिए भटक रहे हैं. इससे न केवल पुलिस प्रशासन की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचती है, बल्कि आम जनता का विश्वास भी डगमगाता है.

हमेशा विवादों में रहे हैं अनुज चौधरी
अनुज चौधरी अपने बयानों और कार्यशैली को लेकर पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं. संभल हिंसा के बाद, जब होली और शुक्रवार एक ही दिन पड़े थे, उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि "होली साल में एक बार आती है और शुक्रवार 52 बार आता है, इसलिए जो लोग रंगों से परहेज करते हैं, उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए." 

अधिकारी को मिल गई थी इस मामले में क्लीन चीट
अधिकारी का यह बयान न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि एक ज़िम्मेदार अधिकारी की असंवेदनशीलता को भी दर्शाता है. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस बयान का समर्थन किया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि कोई अधिकारी धार्मिक सहिष्णुता की सीमा लांघ रहा है. वहीं, पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी अनुज चौधरी के खिलाफ वर्दी पहनकर धार्मिक आयोजनों में शामिल होने की शिकायत की थी. हालांकि जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई, लेकिन इससे जुड़े नैतिक और प्रशासनिक सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं.

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