Golghat Bulldozer Action on Muslims: असम में एक बार फिर डिमोलिशन और बेदखली का मुद्दा गरमा गया है. गोलाघाट जिले में सरकार ने नंबोर साउथ रिजर्व फॉरेस्ट से करीब 350 मुस्लिम परिवारों को बेदखल कर दिया है. प्रभावितों में ज्यादातर बंगाली मूल के मिया मुस्लिम बताए जा रहे हैं. इस कार्रवाई की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें कुछ असमिया ग्रुप्स के जरिये मुस्लिम समुदाय के लोगों को धमकाते हुए भी देखा गया.
बुलडोजर एक्शन का मामला असम के गोलाघाट जिले में इतवार (3 अगस्त) को गई, जब नंबोर साउथ रिजर्व फॉरेस्ट से लगभग 350 मुस्लिम परिवारों को बेदखल कर दिया गया. प्रशासन के मुताबिक, इन परिवारों ने वन भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा था. अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई के जरिये करीब 1,000 बीघा जमीन को खाली कराया गया है और यह अभियान बिना किसी विरोध के शांतिपूर्वक खत्म हुआ.
इन परिवारों में ज्यादातर लोग बंगाली मूल के मिया मुसलमान हैं, जो 1980 के दशक से यहां रह रहे थे. कुछ ने 1978 से ही इस भूमि पर बसे होने का दावा किया है. राजनीतिक दलों के जरिये हिमंता बिस्वा सरमा सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं और कथित तौर अल्पसंख्यकों को टार्गेट करने के आरोप लगाए हैं.
यहां की एक हैरान करने वाली वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल वीडियो में असमिया राष्ट्रवादी ग्रुप्स से ताल्लुक रखने वाले मुसलमानों को जल्द से जल्द ऊपरी असम छोड़ने की धमकी देते नजर आ रहे हैं. एक वीडियो में 'जातीय संग्रामी सेना' के नेता सीतू बरुआ को एक शख्स से कहते हुए सुना गया, "मियाओं (मुसलमानों) को 24 घंटे में ऊपरी असम खाली करना होगा."
गोलाघाट में बुलडोजर एक्शन के बाद अपना आशियाना गंवाने वाले प्रभावितों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़ित परिवारों ने दावा किया कि बेदखली की यह कार्रवाई धर्म और जातीय पहचान के आधार पर की गई है. उनका कहना है कि वहीं के गैर-मुस्लिम निवासियों को बेदखली नोटिस नहीं दिया गया, जबकि उनके मुस्लिम पड़ोसियों को हटा दिया गया.
इन आरोपों पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सफाई देते हुए कहा कि सरकार सिर्फ "संदिग्ध विदेशियों" के जरिये किए गए अतिक्रमणों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रही है. हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "स्वदेशी लोग अगर कहीं रह रहे हैं तो हम उसे अतिक्रमण नहीं मानते. जो बांग्लादेश से आए हैं, सिर्फ उन्हें हटाया जाएगा."
स्क्रॉल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 16 जून से अब तक असम में कुल 7 बेदखली अभियान चलाए जा चुके हैं, जिनमें 5,300 से ज्यादा परिवारों को हटाया गया है. इनमें से ज्यादातर बंगाली मूल के मुस्लिम हैं. इनमें से कई लोग अब तिरपाल और प्लास्टिक की झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं.
सरकार का अगला निशाना डोयांग रिजर्व फॉरेस्ट के तहत मेरापानी इलाका है, जहां 205 परिवारों को बेदखली नोटिस जारी किया गया है और 8 अगस्त से वहां भी अभियान चलाया जाएगा. इस बेदखली अभियान ने एक बार फिर असम में नागरिकता, भूमि अधिकार और सांप्रदायिक पहचान से जुड़ी बहस को तेज कर दिया है. खासकर प्रदेश की बीजेपी सरकार की कथित एकतरफा कार्रवाई शामिल है.