गुवाहाटी: असम के जोरहाट के आजाद चौधरी और उनके जैसे मोहल्ले के अन्य मुसलमान जब बकरीद की तैयारी में जुटे थे, तभी बकरीद के ठीक दो दिन पहले सरकार ने उन लोगों के घर पर बुलडोज़र चलवा कर उसे तोड़ दिया. मुसलमानों के सर से उनकी छत छीन ली गई. घर के सामान तोड़ दिए गए. एक साथ कई परिवार सड़कों पर आ गया. अब आगे उनका भविष्य क्या होगा, ये सोचकर वो आशंकित हैं. डरे हुए हैं.
असम के जोरहाट जिला प्रशासन ने कब्रिस्तान रोड पर स्थित इस सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए तोड़फोड़ अभियान चलाया है. पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों के साथ जोरहाट जिला प्रशासन की एक टीम इलाके में अवैध आवासीय और व्यावसायिक संरचनाओं को हटाने के लिए पहुंची थी. हालांकि, इस कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की मुहिम को स्थानीय मुसलमानों द्वारा भारी विरोध का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोग आजाद चौधरी नाम के व्यक्ति के समर्थन में सामने आए, थे, जिनकी अवैध संपत्तियां जोरहाट नगर पालिका बोर्ड द्वारा ध्वस्त की गई अन्य संपत्तियों में शामिल थीं. सरकार का इलज़ाम है कि इन लोगों के घर अवैध ज़मीन में बने हुए थे. इसलिए सरकार ने उनके घरों को गिराया गया है. स्थानीय मुसलमानों के विरोध के बावजूद पुलिस और सीआरपीएफ की टीमों की मौजूदगी के कारण स्थिति नियंत्रण में है.
पीड़ित ने कहा, नहीं मिला कोई नोटिस
हालांकि, चौधरी ने किसी भी तरह का नोटिस मिलने से इनकार किया है, और दावा किया है कि उन्होंने 2014 में यह ज़मीन पट्टे पर ली थी. उन्होंने कहा कि नगर पालिका ने हाल के वर्षों में तीसरे पक्ष के दावों से जुड़े मुकदमे के कारण ज़मीन का किराया नहीं वसूला है. चौधरी ने इलज़ाम लगाया है कि ये विध्वंस राजनीति से प्रेरित है. आजाद चौधरी के सरकारी ठेकेदार है, लेकिन ठेकेदारों की आपसी प्रतिद्विन्दता की वजह से उसे बांग्लादेशी बताया जा रहा है, और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
ज़मीन पट्टे पर देने के दावों को नगरपालिका ने किया खारिज
ध्वस्तीकरण अभियान के बारे में नगर पालिका बोर्ड ने कहा कि ध्वस्तीकरण के पीछे कोई व्यक्तिगत या राजनीतिक मकसद नहीं था. यह कानूनी प्रोटोकॉल के अनुपालन में किया गया है. नगर पालिका बोर्ड ने चौधरी को 2016, 2020 और फिर 2025 में सरकारी जमीन खाली करने के लिए नोटिस दिया था, जिस पर उन्होंने अवैध कब्जा कर रखा था. नगर पालिका बोर्ड ने कहा कि उनका दावा कि उन्होंने संपत्ति को पट्टे पर दिया है, जो निराधार है. हमारे पास इसका समर्थन करने वाले कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं हैं.
नगर निगम के कार्रवाई का विरोध
इस मामले में मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन ऑफ असम ने जोरदार आवाज उठाई है. अन्य मुसलमान संगठन भी आवाज उठा रहे हैं. मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन ऑफ असम के प्रमुख आशिक रब्बानी ने सरकार और नगर निगम के कार्रवाई का विरोध किया है. रब्बानी ने कहा, " भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों को डराने, कमजोर और बेघर करने के लिए सरकारें बुलडोज़र को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के मुसलमानों के घर पर बुलडोज़र चलाकर उसे नेस्त- ओ- नाबूद करने में लगी है. भाजपा के मुख्य मंत्रियों में इस बात की होड़ मची है कि कौन कितना ज्यादा मुसलमानों पर ज़ुल्म ढाह सकता है? आशिक रब्बानी ने कहा असम में बाढ़ की समस्या है. इसके बावजूद सरकार सिर्फ मुसलमान के पीछे पड़ी हुई है. बकरीद के बाद 11 तारीख को हम सभी मामले पर आवाज उठाएंगे. "
रिपोर्ट: गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद
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