Goalpara News Today: असम में सुनियोजित ढंग से लगातार बीजेपी की अगुवाई वाली हिमंता बिस्वा सरमा सरकार पर मुसलमानों को निशाना बनाए जाने के इल्ज़ाम लगते रहे हैं. हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने हालिया दिनों में ग्वालपाड़ा जिले के हासिला बिल इलाके में 700 घरों को डिमोलिश कर दिया है. इनमें से ज्यादातर का ताल्लुक मुस्लिम समुदाय से है. बुलडोजर कार्रवाई की वजह से प्रभावित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.
ग्वालपाड़ा जिले के हासिला बिल इलाके में कुछ दिन पहले हुई बुलडोजर कार्रवाई के बाद हालात हर रोज बदतर होते जा रहे हैं. जिनके घरों को तोड़ा गया है, वे लोग अब खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक तंबू में रहने को मजबूर हैं. भीषण गर्मी और भारी बारिश के बीच इन लोगों की जिंदगी बेहद मुश्किल हो गई है. इसी दौरान एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, यहां 60 साल की बुजुर्ग महिला जैतून निशा की गर्मी और बीमारी की वजह से मौत हो गई.
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के मुताबिक,करीब 1600 बीघा जमीन पर बुलडोजर चलाया गया था और अब प्रभावित परिवार अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं, लेकिन इन कैंपों में न तो कोई पर्याप्त व्यवस्था है और न ही सरकार की ओर से कोई ठोस मदद मिल रही है. यहां के मुस्लिम परिवारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है, एक तो उन्हें बांग्लादेशी के नाम पर टारगेट किया जा रहा है और दूसरा उनके घरों को अवैध बताकर डिमोलिश किया जा रहा है.
बीजेपी सरकार के इस रवैये पर ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) ने नाराजगी जताई है. AAMSU के स्थानीय नेता अनीनुल हक चौधरी ने कहा कि "सरकार ने इन भारतीय नागरिकों के घर तो तोड़ दिए, लेकिन उनके रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की. जैतून निशा की मौत प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है." उन्होंने कहा कि ये सभी लोग स्थानीय निवासी हैं. वोटर लिस्ट में भी दर्ज हैं और इनके दादा-परदादा सालों से यहां रह रहे हैं. लेकिन सिर्फ एक समुदाय को टारगेट कर इस तरह बेघर करना संविधान और इंसानियत, दोनों के खिलाफ है.
अनीनुल हक चौधरी ने यह भी कहा कि खुले आसमान के नीचे रहने से बच्चों में बीमारियां फैलने लगी हैं और अगर जल्द मदद नहीं दी गई तो हालात और बिगड़ सकते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि इन बेघर लोगों के लिए तुरंत रहने और खाने की व्यवस्था की जाए. साथ ही गर्मी और बरसात से बचाव के लिए सुरक्षित शेल्टर मुहैया कराया जाए, जिससे जैतून निशा की तरह किसी और की मौत न हो. उन्होंने जैतून निशा की मौत के लिए अधिकारियों और प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग की है.
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