Assam Bulldozer Action: असम के ग्वालपाड़ा ज़िले के कृष्णाई पाकन विद्यापाड़ा इलाके में आज सुबह 6 बजे असम का दूसरा सबसे बड़ा बुलडोज़र एक्शन शुरू हुआ. यह एक्शन लगभग 138 बीघा ज़मीन पर चलाया जा रहा है. प्रशासन ने दावा किया है कि जिस जमीन पर बुलडोजर एक्शन हो रहा है, वह वन विभाग की जमीन है.
प्रशासन का यह भी दावा है कि यह हाथियों का पारंपरिक रास्ता है, जिस पर अवैध रूप से कब्ज़ा करके कॉलोनी बना दी गई थी. इसीलिए वन विभाग ने इस ज़मीन को खाली कराने के लिए यह कार्रवाई शुरू की. इस कार्रवाई के दौरान कई मकानों, दुकानों के साथ-साथ एक मस्जिद और एक ईदगाह को भी ध्वस्त कर दिया गया. इलाके के लोग अपील करते रहे कि उन्हें समय दिया जाए या वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी.
AAMSU ने जताई विरोध
इस बुलडोज़र कार्रवाई के ख़िलाफ़ पूरे असम में ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन (AAMSU) ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया. कई ज़िलों में विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स भी तोड़ दिए. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार चुन-चुनकर मुस्लिम इलाकों को निशाना बना रही है और धार्मिक स्थलों को भी नहीं बख्शा जा रहा है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दी चेतावनी
वहीं, असम जमीयत उलेमा-ए-हिंद, कामरूप के सदर एडवोकेट जुनैद खालिद ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "यह कार्रवाई पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और संविधान के विरुद्ध है. सरकार लगातार मुसलमानों के घरों को निशाना बना रही है. हम इन पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान कर रहे हैं और हर संभव मदद करेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि वह स्वयं इस मामले को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.
प्रोटेस्ट की चल रही है तैयारी
आमसू प्रमुख आसिफ रब्बानी ने भी बुलडोजर कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि यह सिर्फ़ अतिक्रमण हटाने का मामला नहीं है, बल्कि एक ख़ास समुदाय को निशाना बनाने की रणनीति है. फिलहाल ग्वालपाड़ा और आसपास के इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है, वहीं मुस्लिम संगठनों ने आंदोलन तेज़ करने का ऐलान किया है.
असम के गुवाहाटी से Sharif Uddin Ahmed की रिपोर्ट....