Assam News Today: केंद्र सरकार पड़ोसी देश में सियासी उठापटक को देखते हुए सभी राज्यों में अवैध और संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की तलाश कर रही है. असम सरकार भी अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ एक्शन मोड में है. इस बीच करीब 14 लोगों को भारत- बांग्लादेश सीमा में 'नो मेंस लैंड' में धकेल दिया गया है, जिसके बाद असम सरकार की यह कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गयी है.
असम सरकार की इस कार्रवाई को लेकर विरोध शुरू हो गया है. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के सीनियर विधायकों के एक दल ने बुधवार (28 मई) को असम के राज्यपाल से मुलाकात कर इस कार्रवाई के खिलाफ एक मेमोरेंडम सौंपा है. AIUDF के विधायकों ने राज्यपाल को बताया कि जिन लोगों को 'नो मेंस लैंड' में धकेला गया है, वह बांग्लादेशी नागरिक नहीं हैं. उनके पास सारे ज़रूरी नागरिक प्रमाण पत्र हैं. इसके बावजूद उन्हें 'नो मेंस लैंड' में धकेल दिया गया है और अभी उनकी स्थिति काफी दयनीय है.
राज्यपाल से मुलाकात के बाद AIUDF विधायकों ने इसकी जानकारी मीडिया से शेयर की. AIUDF विधायकों ने बताया कि आज बुधवार को उन्होंने इस मामले में एक मेमोरेंडम राज्यपाल को सौंपा है. मामला संज्ञान में आने के बाद राज्यपाल ने इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करने का आश्वासन दिया है.
'नो मेंस लैंड' में धकेले गए लोगों दयनीय स्थिति पर AIUDF विधायकों ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जिल लोगों को अभी 'नो मेंस लैंड' में डाला गया है, वह लोग बिना खाये पिये उसी इलाके में बैठे हुए हैं. उन्हें न बांग्लादेश रखने को तैयार है और न ही भारत, ऐसी स्थिति में उन लोगों का क्या होगा. यह बहुत भयावह और दुखद है.
बता दें कि असम सरकार पूरे प्रदेश से अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या को वापस भेज रही है, लेकिन इस कार्रवाई की चपेट में कई ऐसे बेगुनाह भी आ रहे हैं, जिनका शुमार D-Voter कैटेगरी में होता है. D-Voter लिस्ट में शामिल ज्यादातर मुस्लिम समुदाय है, जिससे असम के मुस्लिम समुदाय के लोगों में दहशत का माहौल है.
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि असम के एक सरकारी टीचर को भी संदिग्ध नागिरक बना दिया गया, जबकि वह कई सालों से यहां के अलग-अलग स्कूलों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. उनके पैदाइश असम में हुई और यहीं से पढ़ लिख कर समाज के सबसे प्रष्ठित सेवाओं में से एक हासिल की है. फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने बगैर तथ्यों के D-Voter बना दिया है.
कानून के जानकारों के मुताबिक, D-Voter कैटेगरी में शामिल लोग महज आरोपी हैं और उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने से पहले 'नो मेंस लैंड' में धकेल देना कई मायनों सही नहीं है. सीनियर वकील इलियासी ने कहा कि कुछ लोगों का कोर्ट में फॉरेनर मामले पर केस चल रहा है, और कुछ लोग जमानत में बाहर आए हैं. उन लोगों का खास ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि उन लोगों को अभी विदेशी घोषित नहीं किया गया है. उनके ऊपर अभी मामला कोर्ट में चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट हो या हाई कोर्ट उसमें लगातार मामला चल रहे हैं. उन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार नहीं करना चाहिए.
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम में नागरिकता संबंधी मामलों का कार्यभार जिस फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के जिम्मे है, उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़े होते रहे हैं. इसके कई उदाहरण हैं. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मदन बी लोकुर ने असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल पर सवाल खड़े करते हुए इसे मनमाने तरीके से काम करने के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि ट्रिब्यूनल किसी भी तरह की एकरूपता नहीं होने के कारण दो-तिहाई आदेश एकपक्षीय हुए हैं.
गौरतलब है कि D-Voter यानी Defaulter Voters की कैटेगरी में वैसे लोग होते हैं, जिन पर बांग्लादेशी होने का शक होता है या उनके पूर्वज बांग्लादेश से घुसपैठ कर के भारत आए हुए होते है. जब तक इन का मामला कोर्ट में चल रहा है, या यह प्रूफ नहीं हो जाता है कि आरोपी बांग्लादेशी है, तब तक उन्हें D- Voter की कैटेगरी में रखा जाता है.
फरवरी 2024 में असम विधानसभा में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया था कि राज्य में 96 हजार 987 'D- Voter (संदिग्ध नागरिक) हैं. साल 1997 से 2023 के बीच 89 हजार से ज्यादा लोगों का नाम D- Voter की लिस्ट से हटा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने बताया था कि 26 हजार 144 D- Voter को नोटिस मिल चुका है, जबकि 11 हजार 819 मामलों की सुनवाई अभी बाकी है. इसके अलावा 41 हजार 275 डी वोटरों को अभी तक फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल से नोटिस नहीं मिला है.
इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने म घोषित करने को लेकर अहम जानकारी दी थी. सदन में उन्होंने बताया था कि स्थानीय जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारी उसका मामला फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को भेजता है. इसके बाद ट्रिब्यूनल नोटिस जारी करता है. यह पूरी प्रक्रिया Foreigners (Tribunal) Order, 1964 के तहत तय नियमों के मुताबिक होती है, जिसमें समय लगता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के विधानसभा में दिए गए बयान को कोट कर बताया गया है कि असम में 1.59 लाख से अधिक लोगों को 'विदेशी' घोषित किया जा चुका है. 31 दिसंबर 2023 तक 3.37 लाख से ज्यायादा मामलों का निपटारा हो चुका है, जबकि 96 हजार से ज्यादा मामले अभी भी लंबित हैं. डी वोटर के मामलों के निपटारे के लिए असम में सौ से ज्यादा फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल काम कर रहे हैं.
इनपुट- शरीफ उद्दीन अहमद
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