Bahraich Mela: उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में हर साल लगने वाले सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह मेले को लेकर इस बार अनिश्चितता बनी हुई है. दरअसल, स्थानीय खुफिया यूनिट (LIU) ने इस मेले को लेकर 12 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट देवीपाटन मंडल के कमिश्नर शशि भूषण लाल सुशील और डीआईजी अमित पाठक को भेजी है. इस रिपोर्ट में देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई हालिया घटनाओं, खासकर संभल, प्रयागराज और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए मेले को लेकर सेफ्टी कन्सर्न बताए गए हैं.
हर साल दरगाह पर करीब एक महीने तक मेला लगता है, जिसमें करीब 15 लाख हिंदू-मुस्लिम श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस साल 15 मई से मेला शुरू करने की इजाजत मांगी गई थी, लेकिन बहराइच प्रशासन ने शांति व्यवस्था को देखते हुए अभी तक मंजूरी नहीं दी है. इस मेले में खासतौर पर पूर्वांचल से लोग आते हैं.
- दरगाह से 7 किलोमीटर दूर चित्तौर झील के पास महाराजा सुहेलदेव का स्मारक और मंदिर हैय
- कुछ हिंदू संगठनों का मानना है कि सैयद सालार मसूद गाजी एक विदेशी आक्रांता थे और उन्हें सुहेलदेव ने हराया था.
- कई संगठन दरगाह इलाके को हिंदू धार्मिक स्थल बताकर मेले के आयोजन का विरोध कर रहे हैं.
- प्रयागराज में हाल ही में एक झंडा फहराने की घटना के कारण माहौल बिगड़ा था, जिसकी वजह से यह भी काफी सेंसिटिव जगह हो जाती है.
केंद्र सरकार के जरिए वक्फ संशोधन बिल 2025 लाने के बाद पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं. माना जा रहा है कि इन सब घटनाओं को आधार बनाते हुए बहराइच प्रशासन ने फिलहाल मेले की इजाजत नहीं दी है.
प्रशासन का कहना है कि जिन जिलों से श्रद्धालु आते हैं, वहां के प्रशासन को पहले ही आगाह किया जाए कि भीड़ को रोका जाए. मेले में भीड़ बढ़ने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसलिए लोगों को पहले से जानकारी दी जाए. अब इस रिपोर्ट के आधार पर कमिश्नर और डीआईजी की अगली बैठक में इस पर आखिरी फैसला लिया जाएगा कि मेला होगा या नहीं.