Maulana Shahbuddin: मौलाना शाहबुद्दीन ने इल्जाम लगाया है कि बरेली में 250 मदरसों को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि मदरसों के साथ सौतेला व्यव्हार आज से नहीं हो रहा है, बल्कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौर से है.
मौलाना शाहबुद्दीन ने कहा कि 2016 के दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार थी और आजम खान उस वक्त माइनोरिटी मिनिस्टर थे. इस दौरान तहतानिया और फौकानिया की मान्यता को जिला स्तर बंद कर दी, और इसके बाद शासन स्तर पर आलिया की मान्यता बंद कर दी गई. अब ऐसा हुआ है कि आज की सरकार ने उसे पूरी तरह से बंद करने का नोटिस जारी किया है.
मौलाना शाहबुद्दीन ने बताया कि खंड विकास अधिकारी के जरिए मदरसों को नोटिस दिया गया है. ऐसा करना गैर संवैधानिक है, क्योंकि संविधान अल्पसंख्यकों को अधिकार देता है कि वह अपनी मजहबी तालीम को आगे बढ़ाने के लिए एजुकेशन इंस्टीट्यूट खोल सकता है. जब संविधान इस बात की इजाजत देता है तो सरकार कौन होती है मदरसों को बंद करने वाली?
मौलाना शाहबुद्दीन ने कहा कि सरकार केवल उन मदरसों को बंद कर सकती है, जिन्हें वह अनुदान यानी फंड करती है. जिन्हें सरकार फंड नहीं करती है, उन्हें बंद करने का अधिकार उसके पास नहीं है. अगर ये मदरसे बंद किए गए तो लाखों बच्चों की एजुकेशन का क्या होगा?
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर एक बड़े तबके को एजुकेशन से दूर रख रही है. ये फैसले संविधान के खिलाफ हैं. मौलान शाहबुद्दीन कहते हैं कि सरकार को चाहिए जिन मदरसों को मान्यता नहीं मिली हुई है, उन्हें मान्यता देने का काम करे. मानक सेट करें, और जो मदरसे उन पर खरे उतरते हैं, उन को मान्यता दी जाए.