Bihar News Today: इमारत शरिया बिहार, ओडिशा, झारखंड और पश्चिमी बंगाल ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए. इससे बिहार में सियासी पारा बढ़ गया है. इसको लेकर इमारत शरिया के सचिव मोहम्मद अरशद सैफुल्लाह रहमानी एक प्रेस रीलीज जारी घटना की कड़ी आलोचना की है. इस प्रेस रिलीज में कहा गया है कि पुलिस बल के साथ जदयू नेताओं का इमारत शरिया पर शर्मनाक हमले से सामाजिक सियासी हलकों में नाराजगी है.
संगठन की तरफ से आरोप लगाया गया है कि शनिवार (29 मार्च) को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेताओं ने इमारत शरिया बिहार ओडिशा, झारखंड और पश्चिमी बंगाल पर कथित हमला किया है. इसकी अगुवाई जेडीयू नेता अशफाक करीम ने की, मौके पर उनके कई दूसरे साथी भी मौजूद थी. इस हमले में जेडीयू नेता मौलाना अनीसुर रहमान कासमी और मौलाना अबू तालिब रहमानी शामिल हैं.
इसके अलावा मौलाना मुहम्मद शिबली अल कासमी, मौलाना जफर अब्दुर रऊफ रहमानी मुफ्ती नजर तौहीद मजाहिरी, वकील रागिब अहसन, मंजूर आलम इटकी, डॉक्टर मजीद आलम रांची, महमूद आलम कोलकाता, रियाज शरीफ जमशेदपुर पर भी कथित हमले में शामिल होने के आरोप लगाए हैं. इमारत शरिया की तरफ से दावा किया गया है कि इस कायरतापूर्ण हमले को पुलिस फोर्स और जेडीयू कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन शामिल था.
इमारत शरीया के सचिव की तरफ से दावा किया गया है कि पुलिस पुलिस फोर्स और जेडीयू कार्यकर्ताओं के इस हमले से साफ है कि यह सरकार की संरक्षण में किया गया है. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अफसोस की बात है कि जेडीयू के प्रतिनिधियों ने इस नापाक साजिश को रमजान की छुड्डियों के बीच उस समय अंजाम दिया जब कार्यालय में छुट्टी चल रही थी. जेडीयू नेताओं पर आरोप है कि वह सभी इमारत शरिया में लोगों की कम मौजूदगी को देखते हुए गलत तरीके से फायदा उठाना चाहते थे.
इस प्रेस रिलीज में इमारत शरीया की तरफ से आगे कहा गया है कि इस हमले का मकसद वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हुए प्रदर्शन का बदला लेना और मुसलमानों के भरोसे को तोड़ कर जेडीयू के समर्थकों, कार्यकर्ताओं को जबरदस्ती कब्जा कराना है, जिससे इमारत शरिया को अपने अधीन किया जा सके. कार्यालय सचिव की तरफ से कहा गया है कि इस कोशिश को इमारत शरीया के जिम्मेदारों ने पूरी मजबूती के साथ इंकार कर दिया.
शनिवार को इमारत शरीया के प्रेस रिलीज के बाद प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई. इमारत शरीया की तरफ से कहा गया है कि "इस घटना के बाद सामाजिक और सियासी हलकों में काफी गुस्सा है. उलेमा, सामाजिक संगठनों और सिविल सोसाइटी ने इस असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक हमले की कड़ी निंदा की है और इसे इमारत शरिया जैसी ऐतिहासिक और राष्ट्रीय संस्था की स्वायत्तता पर क्रूर हमला करार दिया है."
इमारत शरीया की तरफ से कहा गया है कि जेडीयू के ये कदम मुस्लिम नेतृत्व को कमजोर करने की नापाक कोशिश है, जिसके आने वाले दिनों नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. इस प्रेस रिलीज में चेतावनी दी गई है कि "जदयू नेताओं और उनके समर्थकों को याद रखना चाहिए कि वे इमारत शरिया को डरा-धमकाकर चुप नहीं रख सकते, इमारत शरिया हमेशा देश की पवित्रता, स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए लड़ता रहेगा.