Bijnor News: बिजनौर जिले के स्योहारा ब्लॉक के एक प्राथमिक विद्यालय की दीवार पर उर्दू जुबान में यूनिवर्सिटी का नाम लिखे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. स्कूल की दीवार पर एक तरफ जहां हिंदी में नाम लिखा गया था, वहीं दूसरी ओर उर्दू में नाम दर्ज किया गया, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही मामला गरमा गया.
इस विवाद के सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने तत्काल जांच के आदेश दिए. जांच में यह साफ हुआ कि उर्दू में नाम लिखवाने के लिए पहले कोई इजाजत नहीं ली गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक ये काम स्कूल की प्रिंसिपल रफत खान की जानकारी में हुआ था. जिनके खिलाफ एक्शन लिया गया है. नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए बीएसए ने मुख्य अध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
अधिकारियों का कहना है कि स्कूल के कैंपस में किसी भी तरह का लेखन या कोई दूसरा काम बिना पहले इजाजत के नहीं किया जा सकता. इस मामले में यही प्रक्रिया नजरअंदाज की गई थी, जिसे अनुशासनहीनता माना गया और प्रिंसिपल के खिलाफ एक्शन हुआ.
हालांकि, यह मामला अब सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक बहस का रूप ले चुका है. सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने इसे शिक्षा संस्थानों के इस्लामीकरण की कोशिश बताया है, जबकि दूसरी ओर कई शिक्षक, अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता इस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं.
समर्थकों का कहना है कि उर्दू उत्तर प्रदेश की मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और विद्यालय के नाम का उर्दू में लिखा जाना गलत नहीं है. सोशल मीडिया पर भी यह बहस तेज हो गई है कि क्या अब प्रदेश में उर्दू भाषा का प्रयोग करना अपराध माना जाएगा?