trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02871978
Home >>Indian Muslim

आज़ाद भारत के पहला शहीद सैनिक, इस मुस्लिम देशभक्त का NCERT में पढ़ाया जाएगा पाठ

NCERT Syllabus: एनसीईआरटी में ब्रिगेडियर उस्मान के चैप्टर को शामिल किया गया है. इसे शामिल करने का मकसद उनके देश के लिए दिए गए बलिदान को सबके सामने रखना है. ब्रिगेडियर उसमान ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी और उन्हें खदेड़ने में वह कामयाब रहे.

Advertisement
आज़ाद भारत के पहला शहीद सैनिक, इस मुस्लिम देशभक्त का NCERT में पढ़ाया जाएगा पाठ
Sami Siddiqui |Updated: Aug 08, 2025, 10:21 AM IST
Share

NCERT Syllabus: भारतीय सेना के जांबाज़ अफसर और महावीर चक्र से सम्मानित शहीद ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की शौर्यगाथा अब देश के स्कूली बच्चों तक पहुंचेगी. डिफेंस मिनिस्ट्री ने गुरुवार को जारी एक बयान में बताया कि क्लास 7 (उर्दू माध्यम) के एनसीईआरटी कोर्स में ब्रिगेडियर उस्मान पर खास लेसन शामिल किया गया है.

क्या है इस पहल का मकसद?

इस पहल का मकसद स्टूडेंट्स को साहस, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र सेवा की प्रेरक कहानियों से रूबरू कराना है. ब्रिगेडियर उस्मान, जिन्हें "नौशेरा के शेर" के नाम से जाना जाता है, 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हुए थे. उन्होंने नौशेरा सेक्टर की हिफाजत में जबरदस्त साहस का एग्जांपल दिय था. देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले इस वीर को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

कौन थे ब्रिगेडियर उस्मान?

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का जन्म 15 जुलाई 1912 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में हुआ था. बचपन से ही वह काफी डिसिप्लिन, ईमानदार और देशभक्त थे. 1934 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी, देहरादून से ट्रेनिंग हासिल की और ब्रिटिश भारतीय सेना में कमीशन हासिल की.

1947-48 का भारत-पाक युद्ध और नौशेरा की लड़ाई

भारत की आज़ादी के बाद जब 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमलावरों ने कश्मीर पर हमला किया, तो उस वक्त ब्रिगेडियर उस्मान 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर थे. उन्होंने नौशेरा सेक्टर की हिफाजत का दायित्व संभाला, जो रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण था.

ऐसे पड़ा नौशेरा का शेर नाम

हमलावरों को रोकने के लिए ब्रिगेडियर उस्मान ने 'नौशेरा न छोड़ने' की शपथ ली. भारी हथियारों और संख्यात्मक बढ़त के बावजूद दुश्मन को उन्होंने न सिर्फ रोका, बल्कि पीछे धकेल दिया. इस जीत के बाद उन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाने लगा.

3 जुलाई 1948 को नौशेरा के पास एक तोप के गोले के विस्फोट में ब्रिगेडियर उस्मान गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए. उनकी शहादत के समय उनकी उम्र मात्र 35 साल थी. उनके शहीद होने के बाद उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया. वह भारतीय सेना के पहले ब्रिगेडियर थे जिन्होंने आज़ादी के बाद देश की हिफाजत में शहादत दी.

Read More
{}{}