Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में करोड़ों की ज़मीन को लेकर वक्फ बोर्ड और नगर निगम के बीच विवाद गहराता जा रहा है. शहर के सबसे महंगे इलाके में स्थित 4.62 एकड़ की प्रॉपर्टी को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हैं. वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह ज़मीन 1920 से वक्फ की संपत्ति रही है और उस पर दुकानें, मकान और एक बाज़ार भी मौजूद हैं. जबकि जिला प्रशासन ने इस ज़मीन को सरकारी घोषित करते हुए इसे नगर निगम के हवाले कर दिया है.
नगर निगम की मेयर मीनल चौबे का कहना है कि यह ज़मीन अब निगम को सौंपी जा रही है और इस पर आगे की कार्यवाही की जा रही है. लेकिन वक्फ बोर्ड इस पूरे निर्णय को अनुचित बताते हुए इसका विरोध कर रहा है. वक्फ बोर्ड ने सवाल उठाया है कि अगर यह ज़मीन निगम की है, तो उसके पास मालिकाना हक का क्या दस्तावेज़ है? वक्फ का दावा है कि उसके पास ज़मीन की रजिस्ट्री और वक्फनामा दोनों उपलब्ध हैं.
इस मामले के सामने आने के बाद वक्फ बोर्ड अब कानूनी लड़ाई की तैयारी में है. बोर्ड का कहना है कि वह पूरे दस्तावेज़ों के साथ पहले रेवेन्यू बोर्ड और फिर जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएगा.
बता दें कि नए वक्फ संशोधन कानून में जिला प्रशासन को असिमित अधिकार दिए गए हैं. इस बात को लेकर विपक्ष के नेता और मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध जारी है.
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉक्टर सलीम राज ने कहा कि यह पहला मौका है जब 100 साल से अधिक पुरानी वक्फ संपत्ति को सरकारी बताया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नपाई-जोखाई भी ठीक से नहीं की गई और बोर्ड को विश्वास में लिए बिना यह फैसला लिया गया है.
इस विवाद के कारण रायपुर में एक अहम भूमि विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है. अब देखना होगा कि न्यायालय में इस मामले का क्या समाधान निकलता है.