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'साल में 52 बार जुमा' बयान देने वाले CO का तबादला; संभल हिंसा के दौरान उठे थे सवाल

CO Anuj Chaudhary Transfer: संभल के विवादास्पद सीओ अनुज चौधरी का ट्रांसफर कर दिया गया है. उनकी जगह आलोक भाटी अब कमान संभालने वाले हैं. पूरी खबर पढ़ें.

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'साल में 52 बार जुमा' बयान देने वाले CO का तबादला; संभल हिंसा के दौरान उठे थे सवाल
Sami Siddiqui |Updated: May 03, 2025, 01:08 PM IST
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CO Anuj Chaudhary Transfer: संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान सुर्खियों में आए पुलिस अधिकारी सीओ अनुज चौधरी का तबादला कर दिया गया है. उन्हें संभल सर्किल से हटाकर जिले के ही एक दूसरे इलाके चंदौसी सर्किल का सीओ नियुक्त किया गया है. उनकी जगह अब सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आलोक भाटी ने संभल सर्किल की कमान संभाल ली है.

संभल हिंसा के बाद सुर्खियों में आए थे अनुज चौधरी

दरअसल, 19 नवंबर को एक लोकल कोर्ट ने संभल की शाही मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था. ये आदेश हिंदू संगठन के जरिए दायर याचिका के बाद दिया गया था, जो आदेश वाले दिन ही फाइल की गई थी. पिटीशन में दावा किया गया था कि पहले मस्जिद की जगह मंदिर हुआ करता था. इस दिन सर्वे सुकून से हुआ और 24 तारीख को जब दोबारा सर्वे हुआ तो पुलिस और भीड़ के बीच में भारी विवाद हुआ. इस दौरान लाठी चार्ज और आंसू गोले छोड़े गए.

इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई. इलाकाई लोगों ने इल्जाम लगाया कि पुलिस ने उन्हें गोली मारी है. हालांकि, सीओ अनुज चौधरी और प्रशासन ने ऐसा कुछ भी करने से इंकार कर दिया और इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया.

जुमा और होली वाले बयान पर विवाद

सीओ अनुज चौधरी केवल सांप्रदायिक हिंसा को लेकर ही नहीं, बल्कि अपने एक विवादित बयान के कारण भी चर्चा में रहे थे. 6 मार्च को उन्होंने कहा था कि "होली साल में एक बार आती है, लेकिन शुक्रवार की नमाज़ तो 52 बार होती है." उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि अगर किसी को होली के रंगों से परेशानी है तो उन्हें उस दिन घर में रहना चाहिए. इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई थीं और काफी आलोचना भी हुई थी

क्यों हुआ सीओ अनुज चौधरी का ट्रांसफर

माना जा रहा है कि यह बदलाव स्थानीय परिस्थितियों और कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है. हालांकि पुलिस विभाग की तरफ से इस तबादले को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है. उनके बयान को लेकर उपजे विवाद और स्थानीय असंतोष को देखते हुए प्रशासन ने यह फैसला संतुलन बनाए रखने के लिए लिया हो सकता है. हालांकि उन्हें जिले के भीतर ही नई जिम्मेदारी दी गई है, जिससे यह संकेत भी मिलता है कि उन्हें पूरी तरह से दोषी नहीं ठहराया गया है.

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