trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02850830
Home >>Muslim News

इन हालतों में इंसान हो जाता है नापाक, नहाना होता है फ़र्ज़; क्या कहता है इस्लाम?

Compulsory Bath in Islam: इस्लाम के मुताबिक कई ऐसे मौके हैं, जब इंसान पर नहाना फर्ज हो जाता है. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो वह नमाज पढ़ने के काबिल नहीं रहता. आइये जानते हैं वह कौनसी चीजें हैं.

Advertisement
इन हालतों में इंसान हो जाता है नापाक, नहाना होता है फ़र्ज़; क्या कहता है इस्लाम?
Sami Siddiqui |Updated: Jul 22, 2025, 06:47 PM IST
Share

Compulsory Bath in Islam: इस्लाम में पाकी (पवित्रता) को बड़ी तर्जीह (महत्व) दी गई है. यहाँ तक कि इसे आधा ईमान बताया गया है. एक मुसलमान को हमेशा पाक- साफ़ रहने की ताकीद की गई है. ऐसा हुक्म इसलिए भी दिया गया है कि हर मुसलमान को दिन में 5 वक़्त की नमाज़ अदा करना फ़र्ज़ करार दिया गया है. यानी आप कुछ ख़ास परिस्थितियों को छोड़कर  किसी हालत में नमाज़ नहीं छोड़ सकते हैं.  लेकिन कुछ ऐसे काम और परिस्थितियां हैं, जिसके होने और करने के बाद इंसान नापाक या अपवित्र हो जाता है, और उसपर गुसुल (नहाना ) फ़र्ज़ हो जाता है, अगर वो नहीं नहाता है, तो वो गुनहगार होगा और उसकी नामज़ या कोई अन्य इबादत नापाकी की हालत में कबूल नहीं होगी.   

 आज हम आपको ऐसी 4 मौके बताने वाले हैं, जब एक मुसलमान पर गुस्ल फर्ज हो जाता है. 

- जिस पर ग़ुस्ल वाजिब है वह नहाने में देर न करे. ह़दीस शरीफ़़ में है कि जिस घर में जुनुबी (नापाकी) हो उसमें रहमत के फ़रिश्ते नहीं आते. अगर इतनी देर हो गई कि नमाज़ का आख़िरी वक़्त आ गया तो अब फ़ौरन नहाना फ़र्ज़ है, क्योंकि अगर अब और देर करेगा तो गुनहगार होगा.

- अगर कोई शख़्स जिस पर ग़ुस्ल फ़र्ज है, खाना खाना चाहता है या औरत से जिमा (सम्बन्ध) करना चाहता है तो वुज़ू कर ले या हाथ मुंह धो ले या कुल्ली कर ले और अगर वैसे ही खा पी लिया तो मकरूह है, और ये घर में मोहताजी लाता है.

1- जनाबत की हालत में (Discharging of Semen)

अगर किसी इंसान का नींद में सीमन डिस्चार्ज (स्वप्नदोष) होता है, या फिर वह इसे जानबूझकर ( हस्तमैथुन) करता है, तो उस पर गुस्ल फ़र्ज़ हो जाता है. ये आदेश मर्द और औरत दोनों के लिए है. हालांकि, इस्लाम में मुस्तजनी (मस्टरबेशन) को हराम करा दिया गया है.

2- जिस्मानी ताल्लुकात

जब मर्द और औरत के बीच फिजिकल  रिलेशन बनता है, भले ही सीमन डिस्चार्ज न हो. ऐसे में दोनों के लिए गुस्ल फर्ज हो जाता है. ऐसा करने के बाद गुस्ल करने की सलाह दी जाती है. रमजान के दौरान रात में जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के बाद रोजा तो रख सकत हैं, लेकिन नमाज के लिए गुस्ल लाजमी हो जाता है. 

3- हैज़ की हालत में (Periods)

जब महिलओं के पीरियड्स खत्म हो जाएं तो उसके बाद गुस्ल फर्ज हो जाता है. पीरियड्स के दौरान नमाज, रोजा और कुरान शरीफ न पढ़ने की सलाह दी जाती है, और हैज की हालत खत्म होने के बाद नहा कर ही ऐसा करने का आदेश है. 

4- निफास  (बच्चा जनने के बाद का खून)

डिलीवरी के बाद जो खून आता है उसे निफास कहते हैं. जब वह बंद हो जाए, तो महिलाओं पर गुस्ल करना फर्ज़ हो जाता है.

इस्लाम में गुस्ल के तीन फराइज हैं, जिन्हें अगर फॉलो नहीं किया जाए तो इंसान सारी उम्र नहाकर भी पाक नहीं होता है. जैसे मुंह में पानी भरके कुल्ली करना, नाक में पानी डाली और फिर पूरे शरीर पर पानी डालना.

Read More
{}{}