Sanjauli Masjid Dispute: हिमाचल प्रदेश में मौजूद संजौली मस्जिद मामले में नगर निगम आयुक्त की अदालत में सुनवाई हुई है. नगर निगम आयुक्त की अदालत में हुई सुनवाई में संजौली मस्जिद कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद लतीफ पेश नहीं हुए. वहीं, वक्फ बोर्ड के वकील ने नगर निगम आयुक्त से रेवेन्यू रिकॉर्ड अपडेट करवाने के लिए कुछ समय मांगा है. इस संबंध में डीसी शिमला को आवेदन दिया गया है. इसके लिए नगर निगम आयुक्त की अदालत ने अप्रैल तक का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को ही होनी है.
सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी मामले का जल्द निपटारा करने को कहा है. वहीं, नगर निगम आयुक्त की अदालत में सुनवाई के बाद स्थानीय लोगों की तरफ से मामले में पेश हुए वकील जगत पॉल ने बताया कि वह इस मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट भी गए हैं. आने वाले सप्ताह में इस मामले की फिर से सुनवाई होनी है.
इससे पहले कब हुई थी सुनवाई
गौरतलब है कि इससे पहले अक्टूबर में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को आठ सप्ताह के भीतर निपटाने को कहा था. अब करीब छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन नगर निगम आयुक्त की अदालत अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं कर पाई है. स्थानीय लोगों की ओर से हाईकोर्ट में एग्जीक्यूशन एप्लीकेशन भी दायर की गई है. आने वाले सप्ताह में इस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है.
क्या है संजौली मस्जिद विवाद
संजौली मस्जिद विवाद हिमाचल प्रदेश में शिमला जिले के संजौली क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद के अवैध निर्माण से संबंधित है, जो 2024 में सुर्खियों में आया था. मस्जिद को मूल रूप से 1907 में एक मंजिला संरचना के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन 2007 के बाद से, उचित इजाजत के बिना इसे कई मंजिलों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है.
मस्जिद को लेकर हिंदू संगठनों ने किया था ये दावा
हिंदू संगठनों ने मस्जिद के इस विस्तार को अवैध बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किए. उनका दावा था कि यह निर्माण राजस्व विभाग की भूमि पर किया गया है. जबकि मुस्लीम पक्ष ने दावा किया था कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर मस्जिद है. इसके अलावा, अगस्त 2024 में मस्जिद से जुड़े कुछ व्यक्तियों द्वारा स्थानीय व्यापारियों पर हमले की घटना ने तनाव को और बढ़ा दिया.