Delhi Riots: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान तोड़फोड़, आगजनी और चोट पहुंचाने के अपराधों को लेकर 57 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ "प्रथम दृष्टया मामला" बनता है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला 57 आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
इन सभी आरोपियों के खिलाफ दयालपुर पुलिस थाने में 24 फरवरी 2020 को मुख्य वजीराबाद रोड और चांद बाग के पास अपराध करने को लेकर मामला दर्ज किया गया था. अदालत ने 15 अप्रैल के अपने आदेश में कहा, "रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी व्यक्ति एक गैरकानूनी जमावड़े का हिस्सा थे, जो उत्पात मचाने और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की साझा मंशा से इकट्ठा हुए थे."
आदेश में कहा गया है कि इकट्ठा होने के मकसद को पूरा करने के लिए उन्होंने एक ट्रक, एक दोपहिया वाहन और एक गोदाम को आग लगा दी. अदालत ने कहा, "दंगाइयों की भीड़ में सभी आरोपियों की मौजूदगी अलग-अलग गवाहों के जरिये स्थापित की गई है." अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ तोड़फोड़ और आगजनी का मामला बनता है. इसके अलावा ओम प्रकाश नाम के व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने और उसे चोट पहुंचाने का भी मामला बनता है.
प्रमाचला ने कहा, "मुझे लगता है कि सभी आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया, आईपीसी की धारा 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), 435 (सौ रुपये या उससे अधिक की राशि का नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग लगाना), 436 (मकान को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना) के साथ-साथ धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना) और 188 (लोक सेवक के जरिये दिए गए आदेश की अवज्ञा) के तहत दंडनीय अपराध का मामला बनता है."
हालांकि, न्यायाधीश ने आरोपियों को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि गवाहों के बयानों से आरोपियों और अन्य लोगों के बीच पूर्व सहमति के तत्व का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, "उनके बयानों से ऐसा जाहिर होता है कि मेन वजीराबाद रोड और 25 फुटा रोड, चांद बाग के पास भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ बाद में हिंसक हो गई और दंगा, तोड़फोड़ और आगजनी करने लगी."