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दिल्ली दंगों में कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच पर रोक, अब याचिकाकर्ता के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगों के पांच साल बाद हालिया दिनों राउज एवेन्यू कोर्ट ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, दयालपुर के तत्कालीन एसएचओ और बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान और सत्यपाल समेत पांच अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे. मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस फैसले को कपिल मिश्रा ने ऊपरी कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर आज सुनवाई हुई.  

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दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा- फाइल फोटो
दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा- फाइल फोटो
Raihan Shahid|Updated: Apr 09, 2025, 08:51 PM IST
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Delhi News Today: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार (9 अप्रैल) को कानून मंत्री कपिल मिश्रा की 2020 के उत्तर-पूर्वी दंगों में कथित भूमिका की आगे की जांच पर 21अप्रैल तक रोक लगा दी. इस केस की सुनवाई करते हुए अदालत ने आदेश दिया कि मामले की अगली सुनवाई तक जांच स्थगित रहेगी. दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा को इस फैसले काफी राहत मिली है. 

इससे पहले बीते दिनों राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा की भूमिका दिल्ली दंगों में संदिग्ध मानते हुए, उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद कपिल मिश्रा के जरिये मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद विशेष न्यायधीश कावेरी बावेजा ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए आगे की जांच पर रोक लगा दी है.

कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच पर रोक 21 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी. इस आदेश के बाद कपिल मिश्रा की 2020 के उत्तर-पूर्वी दंगों में कथित भूमिका की जांच को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है. दूसरी तरफ अदातल ने अब कपिल मिश्रा और उनके साथियों के खिलाफ याचिका दायर करने वाले मोहम्मद इलियास के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया.

मोहम्मद इलियास की याचिका पर ही मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कपिल मिश्रा और उनके साथ अन्य लोगों की भूमिका संदिग्ध मानते हुए जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में अदालत ने मोहम्मद इलियास को 21 अप्रैल तक नोटिस का जवाब देने को कहा है. अदालत के इस फैसले से दिल्ली दंगों में नया मोड़ आ गया है. फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्से में दंगे भड़क गए थे. 

इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से अधिक घायल हो गए थे. दंगों के पांच साल बाद यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास की याचिका पर सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कपिल मिश्रा समेत अन्य की भूमिका को संदिग्ध दिल्ली पुलिस से इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. इलियास ने कपिल मिश्रा, दयालपुर के तत्कालीन एसएचओ और बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान और सत्यपाल समेत पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. 

हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इलियास की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कपिल मिश्रा की दंगों में कोई भूमिका नहीं थी. दिल्ली पुलिस ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में दावा किया था कि "कपिल मिश्रा पर दोष मढ़ने के लिए एक योजना बनाई जा रही है." पुलिस ने यह भी बताया कि दंगों के पीछे की बड़ी साजिश में पहले ही तात्कालिक बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच की जा चुकी है.

दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि डीपीएसजी (दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप) की चैट से पता चलता है कि चक्का जाम की योजना 15 फरवरी और 17 फरवरी को पहले से ही बनाई गई थी.

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