Sharjeel Imam on Delhi Riots 2022: साल 2019- 2020 में दिल्ली में CAA-NRC के खिलाफ हुए विरोध- प्रदर्शन और उसमे हिस्सा लेने वाले JNU के पूर्व रिसर्चर शर्जील इमाम पिछले 5 सालों से जेल में बंद हैं. उनपर देश तोड़ने वाला भड़काऊ भाषण देने का इलज़ाम है. कोर्ट में दर्ज़नों बार उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज की जा चुकी है. इस बीच उन्होंने जेल से एक चिट्ठी लिखी है, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. लगभग 6 हज़ार शब्दों की इस चिट्ठी में शर्जील इमाम ने अपने बचपन से लेकर स्कूल, कॉलेज की ज़िन्दगी और देश की मौजूदा सियासत के बारे में बहुत कुछ लिखा है. शर्जील की मूल चिट्ठी इंग्लिश में हैं. हम यहाँ उस चिट्ठी के कुछ चुनिन्दा अंश हिंदी में पाठकों के सामने पेश कर रहे हैं.
दिल्ली दंगों की साजिश रचने के इलज़ाम में लगभग 5 साल से जेल में बंद शरजील इमाम ने जेल से लिखी अपनी चिट्ठी में भावुक अपील करते हुए लिखा, "हमें कभी भी किसी इंसान को उसके विरोधियों की बातों या नजरिए से नहीं आंकना चाहिए, खासकर जब वह हमारे जैसे सोचने वाला या साथ चलने वाला हो."
शरजील इमाम ने आगे कहा, "मैंने दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में CAA-NRC के खिलाफ हुए आंदोलन में एक महीने तक लगातार काम किया और भाषण दिए. इसके अलावा मैं दस साल से लगातार पढ़ाई-लिखाई और रिसर्च कर रहा हूं, लेकिन इन सबको नजरअंदाज कर दिया गया." उन्होंने कहा, "मुझे सिर्फ एक वीडियो क्लिप की वजह से टार्गेट किया जा रहा है, जिसे भाजपा और उसके समर्थकों ने जान-बूझकर गलत ढंग से फैलाया."
शरजील ने लिखा, "मेरे खिलाफ नाराजगी की अहम वजह 'कांग्रेस के राष्ट्रवाद' से भी है. इसकी वजह से मुझे काफी नुकसान उठाना पड़ा है. मैं मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों पर गंभीरता से सोचता हूं." उन्होंने आगे लिखा, "सच्चाई यह है कि 1946 में कैबिनेट मिशन योजना को जिन्ना ने नहीं बल्कि नेहरू ने खराब किया, जबकि सभी दलों ने पहले उसे स्वीकार कर लिया था."
मौलान अबुल कलाम आजाद और आकार पटेल की किताबों का हवाला देते हुए शरजील इमान ने कहा, "आज अगर देश में ताकत के बंटवारे (डिसेंट्रलाइजेशन), अल्पसंख्यकों और दूसरे समुदायों के अधिकारों पर कोई गंभीर चर्चा करनी है, तो जिन्ना को समझना जरूरी हो गया है." शरजील ने मशहूर इतिहासकार पार्थसारथी गुप्ता का हवाला देते हुए कहा, "भारत को एक असली संघीय देश (फेडरल स्ट्रक्चर) बनाना चाहिए, ताकि दक्षिण एशिया के बाकी देश भी आपस में एक बेहतर रिश्ते (कन्फेडरेशन) में बंध सकें."
बीजेपी और उसकी सोशल मीडिया विंग पर निशाना साधते हुए शरजील ने कहा, "आप मुझसे असहमत हो सकते हैं, लेकिन मुझे जिस रूप में ट्रोल आर्मी पेश करती है, उस पर राय बनाना गलत है." उन्होंने कहा कि, "मुझे पागल या बीजेपी एजेंट भी कहा जाता है क्योंकि मेरे विरोधी मेरे विचारों को पचा नहीं पाते हैं."
पत्र में शरजील इमाम ने लिखा, "यह बहुत अफसोस की बात है कि कुछ तथाकथित पत्रकार और विचारक, वे चाहे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम, मेरी आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं." CAA-NRC प्रदर्शन का जिक्र करते हुए शरजील ने कहा, "शाहीन बाग आंदोलन में हम लोगों ने पहले दिन से 18वें दिन तक लगातार काम किया, लेकिन कुछ किताबों में हमारा नाम तक नहीं है. मुझे आसिफ मुजतबा, अफरीन फातिमा और बाकी साथियों को नजरअंदाज कर दिया गया. इसका मतलब साफ है या तो ये लोग ईमानदार नहीं हैं या उनके पास कोई ठोस समझ नहीं है."
बगैर किसी का नाम लिए शरजील ने तंज कसते हुए लिखा, "सच को हमेशा दबाया नहीं जा सकता. मुझे किसी से शिकायत नहीं है, मैं सिर्फ अपनी बात रखना चाहता हूं. मुझे अपने अल्लाह पर भरोसा है और अपने लोगों का प्यार ही मेरे लिए काफी है." शरजील का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दिल्ली दंगों के कथित आरोपियों को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है.
गौरतलब है कि साल 2029- 2020 में CAA-NRC के खिलाफ पूरी दिल्ली में प्रदर्शन हो रहे थे. फरवरी 2020 में इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान बीजेपी के सीनियर नेताओं के भड़काऊ बयानों के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. इस दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे और मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को दंगाईयों ने निशाना बनाया था.
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 2200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था. जामिया मिल्लिया इस्लामिय और जेएनयू के कई छात्रों को दंगों की साजिश रचने के इलज़ाम में जेल भेज दिया गया है, जिनमें शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, आसिफ तनहा, सफूरा जरगर जैसे कई छात्रों को आरोपी बनाया है, जिनमें से कई अभी भी जेल में बंद हैं.