Delhi Riots 2020: साल 2020 में CAA-NRC को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. इससे जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट मंगलवार (1 जुलाई) को उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्तियों पर सुनवाई करेगा. इस सभी पर साल 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में बड़ी साजिश रचने के आरोप हैं.
इस केस में कुल 18 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, जिन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गंभीर धाराएं लगाई गई हैं. इनमें से दो आरोपी अब भी फरार हैं. दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक की अपील पर हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई को टालते हुए अब 9 जुलाई की तारीख तय की है. इस पीठ में जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर शामिल हैं.
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद अदालत में खुद पेश हुए, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. हाई कोर्ट फिलहाल उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य ने निचली अदालत से जमानत खारिज किए जाने को चुनौती दी है.
इन याचिकाओं में कहा गया है कि UAPA की कठोर धाराएं लगाकर उनकी जमानत रोकी जा रही है. इससे पहले 15 जून 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट ने देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तनहा को नियमित जमानत दी थी. वहीं, निचली अदालत ने इशरत जहां को भी जमानत दी थी.
आरोप है कि इन लोगों ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर साजिश रची थी. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस का दावा है कि उमर खालिद और शरजील इमाम इस साजिश के मास्टरमाइंड थे. पुलिस के पास उनके वॉट्सऐप चैट और भाषणों को सबूत के तौर पर पेश किया गया है.
इस मामले में उत्तर-पूर्वी दिल्ली और अन्य इलाकों के अलग-अलग थानों में 700 से ज्यादा FIR दर्ज की गई थीं. दिल्ली हाई कोर्ट इससे पहले दिल्ली पुलिस से यह भी पूछ चुका है कि क्या सिर्फ प्रदर्शन आयोजित करना ही UAPA जैसे सख्त कानून लगाने के लिए काफी है? अदालत ने पुलिस से उनके दावों को ठोस सुबूतों के साथ पेश करने को भी कहा था. यह मामला फिलहाल आरोप तय करने की प्रक्रिया के चरण में है.