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Delhi: 5 साल से जेल में बंद तस्लीम की जमानत पर सुनवाई पूरी; दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Delhi High Court on Tasleem Ahmer Bail: दिल्ली दंगों में साजिश रचने के आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. तस्लीम पिछले पांच साल से जेल में बंद हैं. दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया है.  

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(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)
Raihan Shahid|Updated: Jul 09, 2025, 09:52 PM IST
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Delhi Riots 2020 Update: साल 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है. इसी कड़ी में बुधवार (9 जुलाई) को दंगे में साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

जमानत पाने के लिए तस्लीम अहमद ने हाईकोर्ट के सामने कई वजहें बताईं, जिनमें मुकदमे में देरी और इतने लंबे समय से जेल में बंद होना भी शामिल है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने तस्लीम अहमद की जमानत का विरोध किया. पुलिस कहा कि सिर्फ देरी को जमानत का आधार नहीं बनाया जा सकता.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखा. तस्लीम अहमद की ओर से वकील महमूद प्राचा पेश हुए, जिनकी जमानत याचिका निचली अदालत पहले ही खारिज कर चुकी थी. तस्लीम के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह पिछले पांच साल से जेल में हैं और अभी तक मुकदमा शुरू भी नहीं हुआ है. 

प्राचा ने यह भी कहा कि तस्लीम ने हाईकोर्ट से कभी सुनवाई टालने की अपील नहीं की. महमूद प्राचा ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद, मामले की सुनवाई हर दिन नहीं हो रही है. इसके अलावा उन्होंने यह भी तर्क दिया कि तस्लीम की ओर से आरोपों पर बहस पूरी हो चुकी है.

दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि UAPA के मामलों में सिर्फ देरी को जमानत का आधार नहीं बनाया जा सकता. पुलिस ने कई अदालती फैसलों का हवाला दिया. दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद पेश हुए. 

विशेष लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि UAPA मामलों में जमानत पर विचार करते समय धारा 43(D) के तहत एक प्रतिबंध है. इस प्रावधान के मुताबिक, जांच एजेंसी के जरिये आरोपी के खिलाफ पेश किए गए सबूतों की जांच किए बिना जमानत नहीं दी जा सकती है, बहस के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने दंगों की साजिश से जुड़े नोटिस का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एक बड़ी साजिश रची गई थी, जिसकी वजह से 53 लोगों की मौत हुई.

इससे पहले 25 मार्च को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से आरोपी तस्लीम अहमद की भूमिका पर एक नोट दाखिल करने को कहा था. वकील महमूद प्राचा ने पहले भी कहा था कि तस्लीम अहमद का मामला अन्य सह-आरोपियों से अलग है.

इससे पहले 22 फरवरी 2024 को निचली अदालत ने तस्लीम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में अपने तीन सह-आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा की तरह नियमित जमानत मांगी थी. इन तीनों को दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 जून 2021 को जमानत दे दी थी. जिसके बाद निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तस्लीम की अपील मंजूर कर ली गई थी.

विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने बताया कि आरोपी तस्लीम अहमद की पिछली जमानत अर्जी को पिछली अदालत ने 16 मार्च 2022 को खारिज कर दिया था. उस समय अदालत ने आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को प्रथम दृष्टया ( Prima Facie) सही माना था. इसलिए अदालत ने कहा कि UAPA की धारा 43D और CrPC की धारा 437 के तहत लगाए गए प्रतिबंध आरोपी को जमानत देने पर लागू होते हैं.

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