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Rajasthan: न जाति न धर्म, सिर्फ भूख और बेबसी को पहचानते हैं नूर मोहम्मद; 19 हजार लोगों को बांट चुके हैं राशन किट

Ganga Jamuni Tehzeeb in Rajasthan: पूरे देश में इस वक़्त मुसलमानों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. दूसरी राजस्थान के नूर मोहम्मद ने मुल्क में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच इंसानियत और भाईचारे की अद्भुत मिसाल पेश की है. उन्होंने धार्मिक त्योहारों के अलावा दूसरे मौकों पर भी गरीबों की मिस्कीनों की खूब मदद की है.  

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नूर मोहम्मद बने गंगा जमुनी तहजीब के मिसाल
नूर मोहम्मद बने गंगा जमुनी तहजीब के मिसाल
Raihan Shahid|Updated: Jul 14, 2025, 05:06 PM IST
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Dungarpur News Today: राजस्थान के डूंगरपुर शहर से एक ऐसी शख्सियत की कहानी सामने आई है, जो सच्चे मायनों में इंसानियत और भाईचारे की मिसाल बन चुके हैं. डूंगरपुर शहर के रहने वाले हाजी नूर मोहम्मद मकरानी पिछले कई सालों से गरीबों और जरूरतमंदों की खिदमत कर रहे हैं. पेशे से मोटर कार मैकेनिक नूर मोहम्मद मस्तान शाह बाबा की दरगाह से जुड़े हुए हैं और उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने "एमएमबी ग्रुप" के नाम से एक जन कल्याण समूह चलाते हैं. 

नूर मोहम्मद सालों से गरीब, मिस्कीन और जरुरतमंदों की मदद और खितमत करते आ रहे हैं. नूर मोहम्मद अब तक 19 हजार गरीब और जरूरतमंद परिवारों को मुफ्त राशन किट बांट चुके हैं. खास बात ये है कि वे कभी किसी की जात-पात या धर्म नहीं देखते. हिंदू-मुस्लिम सभी जरूरतमंदों की मदद करते हैं. वे होली, दिवाली, ईद, बकरीद और रमजान जैसे सभी त्योहारों पर गरीब परिवारों को राशन और तोहफे समेत कई तरह से मदद करते हैं.

40 बार कर चुके हैं रक्तदान

नूर मोहम्मद कहना है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. 59 साल की उम्र में भी उनका जोश कम नहीं हुआ है, वे अब तक 40 बार खून भी दान कर चुके हैं. समाजसेवा के लिए वे डूंगरपुर शहर में कभी कपड़े, कभी खाने-पीने की चीजें, तो कभी जरूरत की दूसरी चीजों के साथ रोजमर्रा के सामान लोगों में बांटते रहते हैं. इसके साथ ही वे जानवरों और परिंदों के लिए भी दाना-पानी और चारे का इंतजाम करते हैं.

इंसानियत भाईचारे की मिसाल हैं नूर मोहम्मद

मस्तान शाह बाबा की दरगाह पर वे सरकारी अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ मिलकर कई जनसेवा कार्यक्रम भी करते हैं. नूर मोहम्मद की सेवा भावना के कारण डूंगरपुर के गैर-मुस्लिम लोग भी उनकी तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं और उन्हें भरपूर समर्थन देते हैं. पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री असरार अहमद और खुद नूर मोहम्मद मकरानी का कहना है कि जब तक जान है, वे इसी तरह गरीबों की सेवा करते रहेंगे. इस भागदौड़ भरे दौर में नूर मोहम्मद इंसानियत और भाईचारे की जिंदा मिसाल हैं.

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