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ग्वालपाड़ा में 700 मुस्लिमों के घरों पर चला बुलडोजर; असम सरकार ने बारिश में कर दिया बेघर

Assam Bulldozer Action on Muslim Property: असम में हालिया दिनों D-Voter के नाम पर बड़ी संख्या में मुसलमानों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें 'नो मैंस लैंड' में धकेल दिया गया. वहीं, आज ग्वालपाड़ा में सालों से रहे मुस्लिम परिवारों को घरों पर बुलडोजर चलाकर ढहा दिया गया है. इस कार्रवाई के बाद बीजेपी सरकार पर एकतरफा कार्रवाई करने के आरोप लग रहे हैं.   

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ग्वालपाड़ा में 700 मुस्लिमों के घरों पर चला बुलडोजर
ग्वालपाड़ा में 700 मुस्लिमों के घरों पर चला बुलडोजर
Raihan Shahid|Updated: Jun 17, 2025, 05:23 PM IST
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Assam News Today: असम में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली हिमंता बिस्वा सरमा सरकार पर लगातार राज्य के मुसलमानों को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं. हालिया दिनों धुबरी में बकरीद के अगले दिन प्रतिबंधित मांस मिलने के बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा में एक तरफा कार्रवाई और  D-Voters के तहत समुदाय विशेष को टार्गेट करते हुए 'नो मेंस लैंड' में धकेलने को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.

अब हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने असम के ग्वालपाड़ा शहर में कथित तौर पर एक तरफा कार्रवाई करते हुए मुसलमानों के घरों को ढहा दिया. यह कार्रवाई सोमवार (16 जून) को हुई. अधिकारियों के मुताबिक, ग्वालापाड़ा के हसीला बील इलाके में मौजूद लगभग 45 फीसदी घरों को ढहा दिया गया, क्योंकि इनका निर्माण अतिक्रम करके बनाया गया था. इतना ही नहीं आज मंगलवार (17 जून) को भी यहां पर डिमोलिशन की कार्रवाई जारी है. 

16000 बीघे में चला बुलडोजर

मिली जानकारी के मुताबिक, असम के ग्वालपाड़ा जिले के हसीला बील इलाका मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है और यहां 700  परिवार रहते हैं. इनमें से लगभग सब मुस्लिम ही हैं. यहां पर आज मंगलवार को तड़के सुबह लगभग 6 बजे जिला प्रशासन की टी 15 बुलडोजर लेकर मौके पहुंची और 16 हजार बीघे में फैले खेत, खलिहान और सपंत्तियों को नष्ट कर दिया गया. 

इस कार्रवाई पर सवाल इसलिए भी उठाना लाजमी है, क्योंकि बारिश का मौसम है और इस मौसम में असम में बाढ़ जैसे हालात होते हैं.  बताया जा रहा है कि इस इलाके में महज दो या तीन गैर-मुस्लिमों के घर हैं. प्रशासन की तरफ से कुछ दिन पहले प्रभावितों को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें इस जगह को अवैध बताते हुए बुलडोजर कार्रवाई करने का जिक्र किया गया था. आज जब अचानक हसीला बील में बुलडोजर पहुंचा तो लोग दंग रह गए. ज्यादातर प्रभावितों के पास दूसरी कोई रहने के लिए जगह नहीं है. 

असम में बारिश का सीजन है. अभी से पूरे असम में बाढ़ जैसे हालत हो रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस दौरान खुले आसमान के नीचे प्रभावित परिवार कैसे रहेगा. प्रभावितों में बड़ी संख्या औरत, बुजुर्ग और बच्चों की है. मौसम बदलने की वजह से बच्चे और बुजुर्गों को ज्यादा नुकसान होता है. इसका असर भी दिखने लगा है.

बांग्ला भाषी मुसलमान निशाने पर

ग्वालपाड़ा में इस जगह पर 700 से ज्यादा बांग्ला भाषी मुस्लिम परिवार रहता है, जिनको लगभग 1600 बीघा जमीन से बेदखल कर दिया गया. जिला प्रशासन ने दावा किया कि उसने ग्रामीणों को 2023 और 2024 में बेदखली नोटिस जारी कर उन्हें 'वेटलैंड एरिया' खाली करने का निर्देश दिया था. गोलपाड़ा के जिला आयुक्त ने बताया कि हसीला बील इलाके में कथित रूप से अतिक्रमण की गई जमीन पर बने 45 फीसदी घरों को सोमवार को ही ढहा दिया गया. 

कई निवासी अपना सामान लेकर गांव छोड़कर चले गए, जबकि बचे हुए परिवारों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि उन्हें पुनर्वासित किया जाए. गोलापाड़ा ईस्ट के विधायक ए.के. रशीद आलम ने भी जिला आयुक्त को पत्र लिखकर बेदखल किए जा रहे लोगों के पुनर्वास की मांग की. उन्होंने यह भी दावा किया कि ये परिवार लगभग 70 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं.

स्टूडेंट यूनियन ने किया पुरजोर विरोध

ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन के स्थानीय लीडर अमीनुल हक चौधरी ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के ऊपर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के ऊपर लगातार असम के मुख्यमंत्री तरह-तरह के जुल्म कर रहे हैं. कहीं डिटेंशन कैंप, कभी बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है. अब यहां बुलडोजर चलाकर सालों से रह रहे मुस्लिम परिवारों को बेघर कर दिया गया है.

अमीनुल हक चौधरी ने कहा, "लगातार घर, खेत, खलिहान और धार्मिक स्थानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस जुल्म के खिलाफ हिंदू और मुसलमानों को एक साथ पुरजोर तरीके से आवाज उठानी चाहिए." उन्होंने कहा कि किसी समुदाय के ऊपर इतना जुल्म करना ठीक नहीं है. यह बुलडोजर एक्शन सिर्फ आज ही नहीं कल भी चलेगा और आगे भी पता नहीं कितने दिनों तक चलेगा, कहना मुश्किल है.  

(गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की रिपोर्ट)

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