Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के संभल शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान पिछले साल पुलिस और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसक झड़पर हो गई थी. इस घटना में मुस्लिम समुदाय के 5 लोगों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के 80 से 84 व्यक्ति को गिरफ्तरा कर जेल भेज दिया. इस मामले मस्जिद कमेटी के सदर और वरिष्ठ वकील जफर अली को बीते मार्च के महीने में गिरफ्तार कर लिया गया. आज (1 अगस्त) को 4 महीने बाद कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया है.
संभल जामा मस्जिद हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील जफर अली आज मुरादाबाद जेल से रिहा हो गए. इस रिहाई के बाद उनके परिवार वालों और मुस्लिम समुदाय में खुशियों का लहर दौड़ पड़ा है. संभल जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली जब जेल से रिहा हुए और फिल्मी अंदाज में खुली कार में संभल पहुंची. यहां उनका स्वागत मुस्लिम समुदाय के लोगों ने किया.
नौजवानों ने किया स्वागत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सदर जफर अली का स्वागत मुस्लिम नौजवानों ने फूल, माला पहनाकर किया. नौजवानों ने उन्हें कंधों पर बैठाकर शहर में जुलूस निकाला. स्थानीय मु्स्लिम समुदाय ने खुशी का इजहार करते हुए जमकर आतिशबाजी की, पटाखे छोड़े. बता दें कि जफर अली पिछले 4 महीने से मुरादाबाद जेल में कैद थे, जिन्हें आज हाई कोर्ट ने एक हफ्ता पहले ही जमानत दिया था. आज उन्हें मुरादाबाद जेल से रिहा कर दिया गया है.
जफर अली ने क्या कहा?
संभल जामा मस्जिद के सदर और वरिष्ठ वकील जफर अली ने 4 महीने बाद हाई कोर्ट से रिहाई मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी रिहाई को अल्लाह का करम बताया है. साथ ही उन्होंने कोर्ट पर अपने भरोसे को व्यक्त किया है.
संभल मस्जिद का क्या है मामला?
गौतरलब है कि संभल जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पिछले साल नवंबर के महीने में हिंसा भड़क गई. इस हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा करने और उन पर गोलियां चलाने के आरोप लगे. हालांकि पुलिस ने इस आरोप को खारिज कर दिया. संभल जामा मस्जिद पर कथित हिंदू संगठनों का दावा है कि वह मस्जिद नहीं है, बल्कि पहले वहां हरियर मंदिर था, जिसे इतिहास में तोड़कर मस्जिद में तबदील कर दिया गया.