Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की बहुचर्चित संजौली में मस्जिद निर्माण विवाद के मामले में सोमवार (19 मई) को जिला अदालत में सुनवाई हुई. इस मामले में हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड की जानिब से शिमला नगर निगम आयुक्त अदालत के फैसले को जिला अदालत में चुनौती दी गई है.
जिला अदालत में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह की कोर्ट में मस्जिद मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में शिमला नगर निगम और देवभूमि संघर्ष समिति को नोटिस जारी किया है. बोर्ड की तरफ से नगर निगम आयुक्त अदालत के फैसले पर रोक लगाने के लिए स्टे ऑर्डर जारी करने की मांग की गई है. इस पर अब 23 मई को बहस होगी.
इस संबंध में देव भूमि संघर्ष समिति की ओर से अधिवक्ता जगत पाल ने जानकारी दी. अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि 3 मई को नगर निगम आयुक्त की अदालत में संजौली मस्जिद मामले में अपना आखिरी फैसला सुनाया था. फैसले में पूरी मस्जिद को अवैध करार देते हुए 8 हफ्तों के भीतर गिराने के आदेश दिए थे.
देव भूमि संघर्ष समिति के वकील जगत पाल ने बताया कि इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ऊपरी अदालत में जाएगा, इसकी संभावना अधिक थी. इसे देखते हुए समिति ने 15 मई को कैविएट दाखिल किया था, ताकि किसी भी स्टे आदेश से पहले उनका पक्ष सुना जाए. उन्होंने कहा कि आज अदालत ने वक्फ बोर्ड और देवभूमि संघर्ष समिति को नोटिस जारी किया है. वक्फ बोर्ड के स्टे की मांग पर अब सुनवाई 23 मई को होगी.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में स्थित पांच मंजिला मस्जिद अवैध निर्माण को लेकर विवादों में घिर गई है. जानकारी के मुताबिक, मस्जिद का विस्तार साल 2007 के बाद शुरू हुआ था और 2010 में इसे अवैध करार देते हुए इस पर मामला दर्ज किया गया था. दावा है कि 14 सालों में मस्जिद में चार और मंजिलें बना दी गई हैं.
इस मामले में नगर निगम ने 44 बार सुनवाई की, लेकिन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा. पिछले महीने कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि मस्जिद का विस्तार उनकी निजी जमीन पर किया जा रहा है. इससे दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई. मस्जिद को लेकर अब यह विवाद सामाजिक और राजनीतिक रुप से भी तूल पकड़ता जा रहा है.
हिंदू संगठनों ने हाल ही में चौरा मैदान में प्रदर्शन कर मस्जिद की चार मंजिलों को अवैध बताते हुए इसे तुरंत गिराने की मांग की. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बीते दस सालों में कोई कार्रवाई नहीं हुई. मई के पहले हफ्ते में नगर निगम ने मस्जिद की दो मंजिलों को अवैध बताते हुए हटाने का आदेश दिया. इससे पहले बीते साल 5 अक्टूबर को भी नगर निगम ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को तोड़ने का आदेश दिया था.
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