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Jaipur: रोज हो रही दुआ, कागजात भी पेश; फिर भी 100 साल पुराने मजार को तोड़ना चाहता है हिन्दू संगठन

Jaipur Mazar Controversy: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात के बाद अब राजस्थान में मु्सलमानों के धार्मिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाया जाने लगा है. आलम यह है कि राजस्थान की राजधानी में 100 साल पुरानी मजार को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. मामले को तूल पकड़ता देखकर जयपुर जिलाधिकारी ने एक जांच टीम गठित की है.  

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जयपुर में सौ साल पुरानी मजार को लेकर छिड़ा विवाद (फाइल फोटो)
जयपुर में सौ साल पुरानी मजार को लेकर छिड़ा विवाद (फाइल फोटो)
Raihan Shahid|Updated: Jul 03, 2025, 08:47 PM IST
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Rajasthan News Today: भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों में लगातार मुसलमानों के धार्मिक स्थलों और उनके शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत दूसरे जिलों में सैकड़ों साल पुरानी मस्जिद, मदरसे, मजार और ईदगाहों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया.

वहीं, अब बीजेपी शासित राजस्थान में भी मुसलमानों के धार्मिक स्थलों निशाना बनाया जाने लगा है. राजधानी जयपुर के महारानी कॉलेज परिसर में बनी तीन मजारों को लेकर हालिया दिनों शुरू हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर मजार के वंशज और जयपुर के किशनपोल से विधायक जयपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर डॉ जितेंद्र सोनी को ज्ञापन सौंपा.

मजार के वंशज जीनत खान और नबाव खान ने कलेक्टर को बताया कि ये मजारें उनके पूर्वजों की हैं, जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. वह और उनके परिवार के लोग समय-समय पर मजार पर जियारत के लिए आते रहते हैं. इसके अलावा इस मजार पर सालाना उर्स का भी आयोजन किया जाता है. 

मजार के पक्ष में पेश किए सारे सुबूत

परिजनों ने यह भी दावा किया कि महारानी कॉलेज की जमीन उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज थी और उस समय एक बीघा 18 बिसवा जमीन कॉलेज के लिए ली गई थी. इसके बदले गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास जमीन देने की बात हुई थी, लेकिन वह जमीन उनके पूर्वजों ने नहीं ली. इन तथ्यों के पेश करने के बावजूद दक्षिणपंथी संगठन लगातार इसको ध्वस्त करने की मांग कर रहे हैं.

दक्षिणपंथी संगठनों के उग्र विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन भी दबाव महसूस कर रहा है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला कलेक्टर डॉ. सोनी ने जांच के लिए एक कमेटी बनाने का आश्वासन दिया है, जो मजार के दावे की सच्चाई और दस्तावेजों की जांच करेगी.

दूसरी तरफ सैकड़ों साल पुरानी मस्जिद को लेकर परकोटा संरक्षण समिति के अध्यक्ष भारत शर्मा विवादित बयान दिया. भारत शर्मा ने इस मामले को 'लैंड जिहाद' बताया है. फिलहाल प्रशासन ने स्थिति को शांत बनाए रखने और दोनों पक्षों की बात सुनने का भरोसा दिलाया है. अब निगाहें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएगी.

डीएम ने दिये जांच के आदेश

जयपुर के महारानी कॉलेज परिसर में स्थिति तीन मजारों को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद अब जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कमेटी का गठन कर दिया है. जिला कलेक्टर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने आदेश जारी करते हुए एक छह सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जिसे चार दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.

बीजेपी शासित प्रदेशों में निशाने पर मुस्लिम!

बता दें, बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आदेश से अब तक लगभग 500 मदरसों को ढहा दिया गया, इसी तरह बहराइच, महाराजगंज, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती समेत दूसरे जिलों में बड़ी संख्या में सालों पुराने मस्जिद, मदरसों, मजार और ईदगाहों को ढहा दिया गया है. कमोबेश यही हाल उत्तराखंड का है. 

उत्तराखंड में बीजेपी की अगुवाई वाली धामी सरकार भी बड़े स्तर पर मुसलमानों के धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में 450 से ज्यादा मजार, 50 से ज्यादा मदरसा के खिलाफ कार्रवाई की गई. उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में मदरसों के बंद होने से हजारों बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है. 

हालिया दिनों गुजरात के जूनागढ़ में एक तीन सौ साल पुरानी मजार को नगर निगम ने अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया. नगर निगम के जरिये जारी नोटिस के जवाब में मजार ट्रस्ट ने सारे कागजात भी पेश किए और कोर्ट का आदेश भी पेश किया. इसके बावजूद जूनागढ़ नगर निमग आयुक्त और सिटी प्लानर अध्यक्ष ने तानाशाही रुख दिखाते हुए मजार को ध्वस्त कर दिया. ट्रस्ट की अर्जी पर सुनवाई के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने जूनागढ़ नगर निगम आयुक्त और अन्य अधिकारी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है. 

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