Afghanistan News Today: अफगानिस्तान लगभग चार दशकों तक जंग होते रहे हैं. इसके बाद साल 2001 में अमेरिकी हमलों ने यहां बुनियादी सहूलियतों को तहस नहस कर दिया, लेकिन इस मुश्किल हालात में भी भारत ने अफगानिस्तान का हर कदम पर साथ दिया और बुनियादी ढांचों को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही वजह है कि तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद भी भारत के साथ अफगानिस्तान मधुर संबंध हैं.
एक बार फिर भारत ने अफगानिस्तान को ऐसी मानवीय मदद पहुंचाई, जिसकी खूब चर्चा है और इसकी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं. भारत ने मानवीय मदद के तहत हाल ही में काबुल में पांच दिवसीय 'जयपुर फुट' कृत्रिम अंग शिविर का आयोजन किया. इसका मकसद उन अफगान नागरिकों की मदद करना था, जो किसी हादसे में या जंग में अपना हाथ पैर गंवा चुके हैं. यह शिविर अफगान विकलांगों और बेसहारा लोगों को को दोबारा चलने-फिरने की आजादी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम पहल है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 29 जून को एक्स (पहले ट्विटर) पर यह जानकारी दी. यह शिविर भारतीय संस्था BMVSS, जयपुर और काबुल स्थित भारतीय दूतावास की मदद से लगाया गया. इस दौरान दर्जनों जरूरतमंद विकलांगों को कृत्रिम पैर, कैलिपर्स और चलने में मदद करने वाले अन्य उपकरण मुफ्त में दिए गए.
शिविर पहुंचे लाभार्थी काफी उत्साहित दिखे. इस शिविर में कुल 75 लोगों को जयपुर फुट लगाए गए. भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यह पहल भारत की अफगान जनता के प्रति लंबे समय से चली आ रही मदद की प्रतिबद्धता का हिस्सा है, खासकर मौजूदा मानवीय संकट के समय में.
भारत की मानव-आधारित मदद
भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान को बिना किसी सियासी शर्तों के मदद दी है. चाहे वह खाने पीने की चीज हो, दवाएं हों, स्कॉलरशिप हो या ट्रेनिंग प्रोग्राम हो, भारत की कोशिश हमेशा आम अफगानों की जरूरतों को पूरा करने की रही है. इसी मदद का नतीजा है कि न सिर्फ अफगान की तालिबान सरकार बल्कि आम लोग भी भारत को सम्मान की निगाह से देखते हैं.
जयपुर फुट शिविर भी इसी कोशिश का हिस्सा है. BMVSS की यह पहचान रही है कि वह दुनिया के कई देशों में ऑन-द-स्पॉट कृत्रिम अंग फिटिंग शिविर आयोजित करता है. अब तक संस्था ने 44 देशों में 111 शिविर लगाए हैं, जिनमें 22 देशों में भारत सरकार के 'India for Humanity' अभियान के तहत 28 शिविर लगाए गए हैं.
जयपुर फुट एक खास किस्म का हल्का और सस्ता कृत्रिम पैर है, जिसे BMVSS ने विकसित किया है. यह पश्चिमी देशों में इस्तेमाल होने वाले SACH फुट से अलग होता है. जिन लोगों का पैर घुटने से ऊपर कटा होता है, उनके लिए Stanford University और BMVSS के जरिये मिलकर बनाए गए खास 'जयपुर नी' का भी इस्तेमाल किया जाता है.
BMVSS संस्था ने पिछले 44 सालों में 22 लाख से ज्यादा विकलांगों को नयी जिंदगी दी है. यह संस्था बिना अपॉइंटमेंट के इलाज करती है और हाईटेक तकनीक जैसे लेजर अलाइनमेंट और गेट एनालिसिस लैब का इस्तेमाल कर अंग फिटिंग करती है. इस शिविर से यह संदेश साफ है कि भारत अफगानिस्तान की जनता के साथ खड़ा है और भविष्य में भी इस तरह के मदद जारी रखेगा. इतना ही नहीं भारत ने अफगान की असेंबली का निर्माण भी किया है.
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