Assam Muslim Population Controversy: असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने हालिया दिनों कई जिलों में बुलडोजर कार्रवाई की. असम सरकार की इस कार्रवाई को लेकर मानवाधिकार संगठन और आम लोग लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर की गई कार्रवाई बता रहे हैं. बीते दिनों जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUH) ने प्रभावित जिलों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में गोलपाड़ा जिले का दौरा किया था. जहां उन्होंने प्रदेश की बीजेपी सरकार के जरिये की गई डिमोलिशन की कार्रवाई की जायजा लिया. JUH ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि बुलडोजर कार्रवाई से यहां पर 4,000 से ज्यादा मुस्लिम परिवारों का आशियाना उजड़ गया. इस कार्रवाई से बहुसंख्यक समाज भी प्रभावित हुआ है, लेकिन उनकी संख्या कम है.
JUH ने बताया कि गोलपाड़ा जिले का आशुदुबी और हासिलाबिल इलाके में 3,973 घरों को ढहा दिया गया. इसकी वजह से सबसे ज्यादा बंगाली मूल के मुसलमान प्रभावित हुए है. जमीयत के मुताबिक, यह परिवार यहां पर बीते 70 से 80 सालों से रह रहा था और नदी में लगातार कटाव की वजह से पलायन किया था. आलम यह है कि प्रभावित मुस्लिम परिवारों के पास बारिश और कड़ी धूप में बचने का कोई जगह नहीं है.
नवंबर 2023 से जुलाई 2025 के दरम्यान असम सरकार ने बड़ी संख्या मुसलमानों के धार्मिक स्थलों और मदरसों को निशाना बनाया. JUH ने एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया कि बीते दो सालों में तीन जिलों गोलपाड़ा, धुबरी और नलबाड़ी में बड़े पैमाने पर डिमोलिशन की कार्रवाई की गई. 2023 से 2025 के बीच असम सरकार ने 21 मस्जिदों, 44 मदरसों और 9 ईदगाहों को ढ़हा दिया.
पूर्व सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल और हाफिज बशीर अहमद कासमी की अगुवाई में जमीयत उलेमा असम ने मुसलमानों पर हुए बुलडोजर कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ तीन जिलों जिनमें गोलपाड़ा, धुबरी और नलबाड़ी शामिल है, हिमंता बिस्वा सरमा सरकार की कार्रवाई से 8,115 से ज्यादा परिवार और 32,530 लोग प्रभावित हुए हैं.
अब सवाल उठता है कि क्या हिमंता बिस्वा सरमा सरकार को मुस्लिम समुदास से कोई खतरा है, जैसे कि उनके बयानों से भी जाहिर होता है. 23 जुलाई को डिब्रूगढ़ शहर में कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया था कि असम में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है.
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर इसी तेजी से मुस्लिमों की आबादी बढ़ी तो साल 2041 तक उनकी आबादी हिंदू आबादी के बराबर पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के हिसाब से असम में मुस्लिम आबादी 34 फीसदी थी, जिसमें से 31 फीसदी मुस्लिम आबादी दूसरों राज्यों की है. बकौल हिमंता बिस्वा सरमा सिर्फ 3 फीसदी मुसलमान असम के मूल रिहायशी हैं यानी 'स्वदेशी असमिया मुस्लिम' हैं.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि यह मेरे निजी विचार नहीं है बल्कि जनगणना की रिपोर्ट है. उन्होंने कहा कि आप उनकी (मुस्लिमों) जनसंख्या को 2021, 2031 और 2041 तक बढ़ाकर देखें, तो हालात लगभग फिफ्टी फिफ्टी हो जाते हैं. हिमंता बिस्वा सरमा लगातार मुस्लिम समुदाय को अपने बयानों के जरिये टारगेट करते रहे हैं.
अगस्त 2024 में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा सत्र के दौरान विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि, "मैं मियां मुसलमानों को असम पर कब्ज़ा नहीं करने दूंगा." उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी हालत में बंगाली भाषी मुस्लिम समुदाय को राज्य पर हावी नहीं होने देंगे. सरमा ने कहा, "मैं पक्ष लूंगा, आप क्या कर लोगे? मियां मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने दूंगा." इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि, "अल्पसंख्यक वोटों की होड़ में विपक्ष शामिल हो सकता है, मैं नहीं हूं."
अब बात करते हैं असम के आबादी की. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, असम की कुल आबादी 3.12 करोड़ थी, जिसमें से 34.22 फीसदी (लगभग 1.07 करोड़) लोग मुस्लिम थे. वहीं, हिंदू आबादी 61.47 फीसदी (लगभग 1.92 करोड़) थी. बीजेपी लगातार चुनावों में Demographic Change का दावा करती रही है.
बीजेपी का कहना है कि मुस्लिम बहुल जिलों की संख्या 2001 में छह थी, जो 2011 में बढ़कर नौ हो गई और अब यह कम से कम 11 हो चुकी है. जबकि 2021 की जनगणना रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुई है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं Demographic Change के दावे किसी भी लिहाज से हकीकत के कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं.
साल 2001 की जनसंख्या रिपोर्ट के मुताबिक, असम के 23 जिलों में से 6 जिले मुस्लिम बहुल थे. इनमें धुबरी, गोलपाड़ा, बारपेटा, नागांव, करीमगंज और हैलाकांडी शामिल हैं. अगले 10 सालों में असम में चार नए जिले बनाए गए, जिसके बाद कुल जिलों की संख्या 23 से बढ़कर 27 हो गई.
जिलों की संख्या बढ़ने से जाहिर है मुस्लिम बहुल जिलों की संख्या बढ़नी लाजमी है. साल 2011 की जनगणना में यह साफ भी हो गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक, जब राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर 27 हुई तो मुस्लिम बहुल जिलों की संख्या बढ़कर 9 हो गई. इनमें धुबरी, गोलपाड़ा, बारपेटा, मोरीगांव, नागांव, करीमगंज, हैलाकांडी, बोंगाईगांव और डारंग शामिल हैं.