Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के एक मुस्लिम डॉक्टर ने दावा किया है कि उसे एक सुपर-स्पेशलिटी संस्थान में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए दाढ़ी कटवाने के लिए कहा गया, जिसके बाद उसे तुम्बतोर के एक निजी अस्पताल से अपनी सीट छोड़नी पड़ी.
सिक्योरिटी की वजहों से नाम न बताने की गुजारिश करने वाले डॉक्टर को कोवई मेडिकल सेंटर अस्पताल में आयोजित किए जा रहे नीट सुपर स्पेशियलिटी (एसएस) काउंसलिंग के दूसरे दौर के दौरान नेफ्रोलॉजी विभाग में सीट आवंटित की गई थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब वह अपनी एंट्री की पुष्टि करने के लिए संस्थान गए, तो उसे एक जगह साइन करने के लिए कहा गया, जिसमें दाढ़ी ने रखने की बात की गई थी.
चूंकि दाढ़ी उनकी आस्था और धार्मिक पहचान का एक अहम हिस्सा है, इसलिए डॉक्टर ने अस्पताल में नहीं रहने का फैसला किया और अब काउंसलिंग के तीसरे दौर में एंट्री करने की कशिश कर रहे हैं.
कश्मीरी स्टूडेंट ने कहा कि मुझे बताया गया कि संस्थान में ड्रेस कोड है जिसके तहत दाढ़ी रखना सख्त मना है. मैंने समझाया कि मैं ड्रेस कोड का पालन करने के लिए तैयार हूं और यहां तक कि अपनी दाढ़ी को मास्क से ढकने के लिए भी तैयार हूं, लेकिन यह उन्हें कबूल नहीं था.
उन्होंने कहा कि श्रीनगर के शेर कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एमबीबीएस, एमडी या सीनियर रेजीडेंसी में उन्हें ऐसी किसी भी पाबंदी का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर काउंसलिंग के दौरान पॉलिसी के बारे में पता होता तो वे संस्थान में आवेदन ही नहीं करते.
शिकायत दर्ज होने के बाद, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) ने दखल दिया और अस्पताल को निर्देश दिया कि एंट्री की इजाजत देनी चाहिए, बशर्ते वह सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो. हालांकि, अपने एक्सपीरियंस से निराश डॉक्टर ने एनबीईएमएस से गुजारिश की है कि उसे काउंसलिंग के अगले दौर में हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए.
उन्होंने कहा, "मैं संस्थान में आगे नहीं पढ़ना चाहता क्योंकि वे अगले आने वाले सालों में परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कानूनी कार्रवाई करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि चेयरमैन एक फेमस शख्स हैं और मैं दबाव में रहूंगा."
इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीनगर के विधायक आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि एक कश्मीरी मुस्लिम डॉक्टर को उसकी योग्यता के कारण नहीं बल्कि उसकी दाढ़ी के कारण प्रवेश से वंचित किया गया. उन्होंने कहा, "यह मुसलमानों के लिए दर्दनाक है कि वे हमें बताते हैं कि आप मुसलमान हो सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब हम इसे न देख सकें." उन्होंने इस संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से भी मुलाकात की और उनसे मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है.