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Jharkhand: हाईकोर्ट बना मुहब्बत का मुहाफ़िज़; आशा और ग़ालिब को दी जान की सुरक्षा की गारंटी

Jharkhand: झारखंड से भागे आशा और गालिब ने आरोप लगाया है कि उनके परिवार वाले उन्हें मारना चाहते हैं. लड़की की बहन चाहती है कि वह बयान बदल दे ताकि गालिब पर अपहरण का इल्जाम लग जाए.

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Jharkhand: हाईकोर्ट बना मुहब्बत का मुहाफ़िज़; आशा और ग़ालिब को दी जान की सुरक्षा की गारंटी
Sami Siddiqui |Updated: Feb 28, 2025, 02:44 PM IST
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Jharkhand: केरल हाई कोर्ट ने अपने-अपने परिवारों से मिली धमकियों के बाद एक कपल को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है. दोनों ने झारखंड से निकलकर केरल में आकर शादी की थी, इस मामले में कोर्ट ने आदेश गुरुवार को दिया है.

कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?

कपल के वकील श्रीकांत थंबन ने बताया कि उनके मुवक्किल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कायमकुलम पुलिस थाना अधिकारी को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी याचिका के लंबित रहने के दौरान उन्हें झारखंड वापस नहीं भेजने का निर्देश दिया है.

पुलिस को जारी किया नोटिस

न्यायमूर्ति सी एस डायस ने पुलिस को भी नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई से पहले उससे मामले पर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ताओं 26 साल की आशा वर्मा और 30 साल के मोहम्मद गालिब ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके बीच 10 साल से प्रेम संबंध हैं. अपने परिवारों से लगातार मिल रही धमकियों और ‘झूठी शान की खातिर मार डालने’ (ऑनर किलिंग) के खतरे के कारण वे इस साल फरवरी में केरल आ गए थे.

लड़की का परिवार बनवाना चाह रहा है झूठा केस

याचिका के मुताबिक, दंपति ने 11 फरवरी को अलपुझा जिले के कायमकुलम में इस्लामी रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी की थी. याचिका में दावा किया गया है कि आशा की बहन 14 फरवरी को झारखंड के रजरप्पा से एक पुलिस अधिकारी के साथ केरल पहुंची थी और इस दौरान उसने आशा से कहा कि वह यह कह दे कि उसका अपहरण किया गया है.

याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता (आशा और गालिब) अनुच्छेद 19(1)(ई) और 21 के तहत अपने मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए भारत में स्वतंत्र रूप से कहीं भी रहने और शादी करने के अपने अधिकार का दावा करते हैं. उनके परिवारों की धमकियां और पुलिस के दखल इन अधिकारों का उल्लंघन करते हैं."

याचिका में कहा गया है, "वे अदालत से गुजारिश करते हैं कि वह प्रतिवादियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने, जबरन निष्कासन को रोकने और उन्हें खतरे में डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश देने के लिए एक रिट के जरिए दखल दें. उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने तथा अपूरणीय क्षति को रोकने के लिए तत्काल सुरक्षा मुहैया कराया जाना जरूरी है."

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