trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02854345
Home >>Muslim News

Jharkhand के CM हेमंत सोरेने से राज्य के मुसलमान नाराज़; पूछ रहे, क्या हुआ तेरा वादा ?

Jharkhand News: झारखंड में मुस्लिम समुदाय सोरेन सरकार से नाराज़ है, क्योंकि छह साल बाद भी अल्पसंख्यक संस्थानों को सक्रिय करने की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आश्वासन दिया था, लेकिन वह केवल बयान बनकर रह गया. अब पंचायत चुनावों में मुसलमानों ने सरकार को काम के आधार पर जवाब देने का फैसला किया है.

Advertisement
Jharkhand के CM हेमंत सोरेने से राज्य के मुसलमान नाराज़; पूछ रहे, क्या हुआ तेरा वादा ?
Sami Siddiqui |Updated: Jul 25, 2025, 12:41 PM IST
Share

Jharkhand News: मुसलमानों में सोरेन सरकार को लेकर नाराज नजर आ रहे हैं. क्योंकि यह समुदाय पिछले 6 सालों से लगातार सरकारी अल्पसंख्यक संस्थानों को सक्रिय और संगठित करने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है. 

चुनाव से पहले सीएम ने दिया था आश्वासन

चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अल्पसंख्यकों को आश्वासन दिया था कि उनके साथ न्याय होगा और सरकारी अल्पसंख्यक संस्थानों को सक्रिय और संगठित करने के लिए कार्रवाई की जाएगी. 

मुसलमानों की मांग थी कि झारखंड उर्दू अकादमी, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम लिमिटेड, उर्दू सलाहकार समिति, राज्य हज समिति और अन्य बोर्ड और निगमों का दोबारा गठन किया जाए. लेकिन दुर्भाग्य से इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. 

अल्पसंख्यकों से किया था सोरेने ने ये वादा

जब हेमंत सोरेन ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाएगा, क्योंकि उनकी यह मांग पुरानी है और सरकार उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाएगी. हालांकि, सोरेने का ये बयान के केवल बयान ही साबित हुआ. 

इसी सिलसिले में उर्दू आवाम ने एक बार फिर सोरेन सरकार पर दबाव की नीति अपनाने का फैसला किया है. झारखंड में पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इन चुनावों में राज्य की दूसरी सबसे बड़ी आबादी ने काम के आधार पर सरकार से बदला लेने का फैसला किया है. 

लोगों का मानना है कि अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है और न ही उन्हें उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए कदम उठाने की जरूरत है, जिसका पक्षपाती अधिकारी भरपूर फायदा उठा रहे हैं. इस संबंध में कई लेखकों और कवियों का कहना है कि वे इसके लिए सरकार से ज्यादा उर्दू भाषियों को जिम्मेदार मानते हैं.

 मुस्लिम माइनॉरिटी की ऐसी ही खबरों के लिए विजिट करें https://zeenews.india.com/hindi/zeesalaam

Read More
{}{}