Jagdambika pal: भारतीय जनता पार्टी के नेता और वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने शुक्रवार को कहा कि अगर यह पाया गया कि ज्वाइंट पर्लियामेंटरी कमेटी की रिपोर्ट असंवैधानिक है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए जगदम्बिका पाल ने कहा,"मैंने पहले भी कहा है कि अगर हमारी रिपोर्ट असंवैधानिक है या मज़हबी आज़ादी में दखल करती है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा." इसे अलावा उन्होंन अपोज़ीशन पर हमला किया और कहा कि वह लोगों को ये कहकर गुमराह कर रहे हैं कि वह धार्मिक आज़ादी के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ये मुस्लिम पासमांदा समाज की मदद करेगा.
बीजेपी एमपी ने कहा,"संसद ने 12 घंटे से ज़्यादा की बहस के बाद कानून पारित किया है और राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद यह देश का कानून बन गया है. सुप्रीम कोर्ट को इसकी व्याख्या करने का अधिकार है और कुछ याचिकाएं आई हैं, जिनमें इस कानून को असंवैधानिक या धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला या ज़मीन छीने जाने की बात कही गई है."
उन्होंने आगे कहा,"वे बाहर कहते हैं कि यह असंवैधानिक है और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, लेकिन, कोर्ट में वे सिर्फ़ इन मुद्दों (उपयोगकर्ताओं, गैर-मुस्लिम सदस्यों द्वारा वक्फ के बारे में) को उठाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात सुनी, उन्होंने कार्यान्वयन को नहीं रोका बल्कि सरकार को उस पर जवाब देने के लिए सिर्फ़ 7 दिन दिए. 73 याचिकाएं हैं और सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से पांच वकील नियुक्त करने को कहा है."
उन्होंने यह भी कहा कि कानून में यह स्थापित किया गया है कि देश भर में वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक बॉडी नहीं हैं, बल्कि एक वैधानिक बॉडी हैं, जिसका मकसद केवल वक्फ संपत्तियों की देखभाल करना है. पाल ने कहा कि वक्फ के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के जरिए उठाई गई आपत्तियों में खास तौर पर वक्फ बाइ यूजर्स और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने से संबंधित प्रावधानों का मुद्दा उठाया गया है, जिसका समाधान बिल का रिव्यू के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति के जरिए पहले ही किया जा चुका है.