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'मेरे खिलाफ नहीं...' दिल्ली हाईकोर्ट में खालिद सैफी की जमानत याचिका पर सुनवाई

Delhi High Court on Khalid Saifi Bail: दिल्ली दंगों के आरोपी खालिद सैफी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है. उनकी याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई, इस मामले में अगली सुनवाई कोर्ट अगले में 16 अप्रैल तय की है.

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खालिद सैफी- फाइल फोटो
खालिद सैफी- फाइल फोटो
Zee Salaam Web Desk|Updated: Mar 26, 2025, 01:47 PM IST
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Delhi News Today: राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में दंगा भड़क गया था. इस दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस समेत अन्य एजेंसियों ने दंगे की जांच शुरू कर दी थी. इसी मामले में यूनाइटेड अगेंस्ट हेट संस्थापक खालिद सैफी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जो अभी भी जेल में हैं. 

खालिद सैफी ने दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की है. याचिककाकर्ता ने दावा किया है कि उनके खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने कोई आतंकवादी कार्रवाई की हो या किसी आतंकवादी गतिविधि की साजिश रची हो. खालिद सैफी की तरफ कोर्ट में सीनियर वकील रेबेका जान नुमाइंदगी कर रही हैं. 

खालिद सैफी की तरफ से पेश होने वाली रेबेका जान ने जस्टिस नवीन चावला और शैलेंद्र कौर की बेंच के सामने दलील दी कि विरोध स्थल पर सिर्फ मौजूदगी को गैरकानूनी गतिविधियों (रोक-टोक) और UAPA की कठोर धाराओं के तहत जमानत की मांग का आधार नहीं बनाया जा सकता है.

'5 साज की सजा काट चुके हैं सैफी'

रेबेका जान ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल जेल में पांच साल की सजा काट चुका है और जमानत के लिए याचिका दायर कर रहा है. इसके बाद अदालत ने इसी तरह की राहत मांगने वाले दूसरे आरोपियों की तरफ से दायर दलील सुनने के लिए 16 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है. इससे पहले खालिद सैफी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ तीन मुकदमें दर्ज हैं, जिसमें मौजूदा केस भी शामिल है. 

सैफी की वकील रेबेका जान ने बताया कि मेरे मुवक्किल को एक केस में जमानत मिल चुकी है, जबकि दूसरे में वह बरी हो चुके हैं. वकील ने यह तर्क दिया कि जन्तर मंतर एक सार्वजनिक स्थान है और उनके मुवक्किल ने इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया है. वह विरोध में शामिल हुए क्योंकि उनका मानना था सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल था.

'पास ऐप के एडमिन पर नहीं हुई कार्रवाई'

उन्होंने अदालत में आगे कहा कि मेरे मुवक्किल इस बात से इंकार नहीं कहते हैं कि उन्होंने विरोध प्रदशर्न में हिस्सा नहीं लिया है उन्होंने ने कहा कि पुलिस ने उन लोगों को गिरफ्तार नहीं किया, जो पास ऐप समूह के एडमिन थे. वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल के साथ सह-अभियुक्तों के साथ समानता की कोशिश कर रहे हैं, जो जमानत पर बाहर हैं. 

रेबेका जान ने कहा कि उनका अधिकार संविधानिक रूप से सुरक्षित है, इस पर उनके मामले में विचार किया जाना चाहिए. जो आरोपों के परीक्षण के चरण में है.अदालत ने इसी तरह की राहत की मांग करने वाले अन्य अभियुक्तों जरिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की है.

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