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Hajj 2025: 4 जून से शुरू होगी हज यात्रा, जानिए हज और उमराह में क्या है फर्क

Hajj 2025: इस्लाम में दो सफर का जिक्र किया जाता है, एक हज और दूसरा उमराह. लेकिन, क्या आप हज और उमराह की उन बारीकियों को जानते हैं, जिसके वजह से यह यात्रा एक-दूसरे से अलग है. इनके सवाब और यात्रा करने का तारीका अलग है. इस आर्टिकल के जरिए जानें की हज और उमराह में क्या अलग है. 

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हज के सफर में काबा की रौनक
हज के सफर में काबा की रौनक
Zee Salaam Web Desk|Updated: Jun 01, 2025, 12:38 PM IST
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Hajj 2025: इस्लाम में सऊदी अरब जाकर पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) के शहर और खाने काबा का दीदार करने का हर एक मुसलमान का ख्वाब होता है. इस महीने हज का सफर 4 तारीख से शुरू किया जाएगा. वहीं इस्लाम में हज के साथ उमराह का भी जिक्र है. क्या आपकों मालूम हैं कि हज और उमराह में क्या फर्क है?, हज और उमराह को किस महीने में मनाया जाता है? इस खबर में हम आपको हज और उमराह की उन बातों के बारे में बताएंगे, जो इनमें अलग है.

हज और उमराह फर्ज!
हज करना इस्लाम के पांच फर्ज में से एक हैं. जिसको मुकम्मल करने के लिए एक शख्स को कम से कम 3 से 4 लाख तक खर्च करना होता है. सरकारी हज कमेटी के जरिए से हज यात्रा का खर्च कम होता है.  लेकिन, वही प्राइवेट यात्रा पर ये खर्च 5 लाख से ऊपर तक पहुंच जाता है. इसलिए जो शख्स आर्थिक और स्वास्थ्य तौर पर हज करने के काबिल हैं, उन्हीं पर हज फर्ज किया गया है. वहीं अगर हम उमराह की बात करें तो उमराह फर्ज नहीं है, इसलिए जो मुसलमान आर्थिक तौर पर इस काबिल होते हैं, वहीं उमराह करते हैं. 

हज और उमराह का महीना
इस्लाम में हज फर्ज है, इसलिए हज यात्रा को इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक जिल-हुज्जा के महीने में 7 तारीख की मगरिब के बाद से लेकर 12 तारीख तक किया जाता है. वहीं अगर इसे इंग्लिश कैलेंडर में देखे तो इस साल यह 3 जून से 8 जून तक है. उमराह यात्रा हम पूरे साल में किसी भी महीने में कर सकते हैं. इसके लिए कोई विशेष महीना नहीं तय किया गया है.

हज और उमराह में वक्त 
हज के सफर को मुकम्मल करने में तकरीबन पांच से छह दिन का वक्त लगता है. लेकिन, उमराह महज तीन से छह घंटे में पूरा किया जाता है. चूंकि हज में कुर्बानी भी की जाती है और हर दिन का एक खास मायने हैं. इसलिए हज में 5 से 6 दिन का वक्त लगता है. 

हज और उमराह अरकान 
हज यात्रा को 5 से 6 दिन में मुकम्मल किया जाता है, इसमें एहराम बांधना, तवाफ़, माउंट अराफात पर वजद, मुज़दलिफा (एक जगह है, जहां हाजी अराफात के बाद खुले आसमान के नीचे रात भर रहते हैं), कुर्बानी, सई और सिर मुंडवाना शामिल है. वही उमराह में  एहराम बांधना, तवाफ करना, सई (काबा के चारों ओर तवाफ करने के बाद जमीन और पहाड़ों के बीत सई करते हैं) और  सिर मुंडवाना शामिल है.  

हज और उमराह का सवाब
ऐसा माना जाता है कि हज करने के बाद शख्स के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं. वह बिल्कुल छोटे बच्चें जैसा पाक और साफ हो जाता है, जैसे उसने कोई गुनाह नहीं किया हो. वहीं उमराह का सवाब भी बड़ा है, लेकिन हज के सवाब से कम हैं. 

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