Kolkata News Today: देश में लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रताड़ित करने की घटनाएं सामने आ रही है. यह प्रताड़ना अब सड़क उठकर सरकारी कार्यालयों तक पहुंच गई है. इसी तरह का एक मामला राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश एग्जाम (NEET UG) में देखने को मिली, जहां एक मुस्लिम छात्रा को हिजाब पहनने की वजह से कथित तौर पर एग्जाम में शामिल होने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इससे उसका आधा एग्जाम छूट गया.
एग्जाम सेंटर पर मौजूद अधिकारियों ने मुस्लिम छात्रा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के नियमों का हवाला देते हुए हिजाब उतारने के लिए दबाव बनाने लगे. यह घटना 4 मई को कोलकाता के गार्डन रीच स्थित एमपी श्री केंद्रीय विद्यालय में हुई थी. यह घटना पिछले महीने की बताई जा रही है. पीड़िता छात्रा फरहीन खान ने एग्जाम सेंटर पर कथित प्रताड़न और भेदभाव के अनुभव को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर शेयर किया.
NEET में ज्ञान नहीं, अब हिजाब से पहचान!
NTA के अपने ही नियम बेमानी साबित हुए, जब हिजाब पहनने की वजह से एक होनहार छात्रा को घंटों अपमानित किया गया और मानसिक आघात पहुंचाया गया. pic.twitter.com/OGQlpasdGN— Raihan Shahid (@RaihanShahid3) June 12, 2025
फरहीन खान ने बीते 11 जून को सोशल मीडिया प्लेफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर शेयर किया, तो यह तेजी से वायरल होने लगी. फरहीन के साथ हुए इस तरह के भेदभाव पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं. पीड़ित छात्रा के मुताबिक, NEET UG के लिए अप्लाई करते हुए उन्होंने रीलीजियस प्रैक्टिस के लिए पगड़ी या अन्य चीजों के पहनने वाले कॉलम पर टिक किया था, इसके बाजवद अधिकारियों के इस बर्ताव पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
पीड़िता को देख लगाए JSR के नारे
दे डेली सियासत में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के बेकबागान की रहने वाली फरहीन खान का आरोप है कि वह दोपहर 12 बजे अपने निर्धारित समय पर एग्जाम सेंटर पर पहुंच गई थीं. सेंटर में घुसने से पहले ही उन्हें कथित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. फरहीन ने बताया, "इमारत के बाहर कुछ लड़कों ने मुझे हिजाब में देखा और 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे. मैं अकेली गई थी."
इस दौरान जब फरहीन ने एग्जाम सेंटर में प्रवेश किया, तो उन्हें एनटीए स्टाफ मिला जिसने उन्हें बताया कि एनटीए नियमों के मुताबिक एग्जाम के दौरान हिजाब या दुपट्टा पहनने की इजाजत नहीं है. फरहीन के मुताबिक, एनटीए के नियम तहत धार्मिक वजहों से हिजाब पहनने वालों को सुरक्षा जांच के लिए एक घंटा पहले केंद्र पर पहुंचने का निर्देश हैं. इस नियमों का पालन करते हुए वह एग्जाम से दो घंटे पहले ही सेंटर पर पहुंच गई थीं.
फरहीन ने बताया, "मैंने स्टाफ से बात की और उन्होंने कहा कि नियम हर साल बदलते हैं. मैंने उनसे कहा कि मैंने ऐसा कोई नियम नहीं पढ़ा है और ड्रेस कोड में भी ऐसा कुछ नहीं लिखा था." एनटीए ड्रेस कोड में जूते, झुमके, बेल्ट वगैरा न पहनने के निर्देश हैं. फरहीन का आरोप है कि उन्होंने फॉर्म भरते समय यह स्पष्ट रूप से बताया था कि वह धार्मिक पोशाक (हिजाब) पहनकर आएंगी. फरहीन ने एग्जाम सेंटर में हिजाब पहन कर जाने और जांच के लिए एनटीए के बुलेटिन 8 के नियम का हवाला दिया.
पीड़ित फरहीन ने बताया, "जब उन्होंने हिजाब उतारने से मना कर दिया तो स्टाफ ने कहा कि वे अपने सीनियर को बुलाएंगे. मौके पर हिजाब पहने हुए कई दूसरी लड़कियां भी खड़ी थीं, जबकि बाकी लोग अंदर जा रहे थे. मैंने एक फीमेल सिक्योरिटी गॉर्ड से निजी तौर पर जांच करने की गुजारिश की, जिससे मैं हिजाब पहनकर एग्जाम दे सकूं." फरहीन ने कहा, "सेंटर मौजूद अधिकारियों ने कहा कि एग्जाम में बैठने के लिए मुझे हिजाब उतारना ही होगा."
फरहीन के मुताबिक, हिजाब उतारने से मना करने और नियमों का हवाला देने पर स्टाफ अंदर चला गया. वह भीषण गर्मी में लंबे समय तक इंतजार करती रहीं. काफी देर बाद वह एक पुरुष के साथ बाहर आईं, जिसने बहुत ही रूखे ढंग से हमें बताया कि हिजाब पहनकर अंदर जाने की इजाजत नहीं है. उसने खुद को एनटीए का सदस्य बताया. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कथित एनटीए मेंबर से नियमों को दिखाने की मांग की, तो उन्होंने मेरे साथ बदतमीजी करते हुए मुझे वहां से निकल जाने को कहा.
फरहीन ने स्टाफ से कहा कि अगर वे हिजाब संबंधी नियम लिखित में दिखा दें, तो वह खुशी-खुशी हिजाब उतारकर एग्जाम देंगी. लेकिन सीनियर अधिकारी ने सिर्फ यह दावा किया कि उसने स्थिति स्पष्ट कर दी है और तुरंत चला गया. उन्होंने बताया कि हालांकि बाद में उन्हें एग्जाम देने दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि हिजाब पहनना नियमों के तहत सही है, बशर्ते आपके कान दिखाई दें. इस पर वह ऐसा करने के लिए तैयार हो गईं.
पीड़िता छात्रा ने बताया कि जांच के बायोमेट्रिक्स करवाना पड़ा और सुरक्षा जांच के लिए अलग से जाया गया. इससे उन्हें काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा और उन्हें मानसिक आघात पहुंचा.
एनटीए धार्मिक पोशाक पहनने वालों को सुरक्षा जांच के लिए एक घंटे पहले आने की सलाह देता है. इस नियम को फॉलो करने के बावजूद फरहीन और एक अन्य छात्रा को एग्जाम देने से रोक दिया गया. फरहीन ने बताया कि "मैंने हिजाब से सिर्फ अपने बाल ढके थे, कान बाहर थे जैसा कि मुझे निर्देश दिया गया था. जब मेरी बारी आई, तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे हिजाब पूरी तरह से उतारना होगा."
फरहीन खान ने बताया कि एग्जाम सेंटर पर उन्हें और हिजाब पहने हुए एक और लड़की को सबसे आखिर में एग्जाम में बैठने की इजाजत दी गई. इसकी वजह से उन्हें काफी देर हो गया और वह बड़ी मुश्किल से सिर्फ आधा पेपर ही कर पाई. उन्होंने कहा, "मैंने जितना पेपर किया, मुझे यकीन है कि उसे सही ढंग से किया है."
एग्जाम सेंटर पर भेदभाव और प्रताड़ित किए जाने की फरहीन खान ने एनटीए से शिकायत की है. उन्होंने बताया कि इस घटना के बारे में एनटीए को मेल किया, इसके अलावा स्पीडपोस्ट से भी संपर्क किया है. फरहीन ने बताया कि एग्जाम के दौरान उन्हें लगातार संदिग्ध नजरों से देखा जा रहा था. स्टाफ के सदस्य पूरे एग्जाम समय अपने सहकर्मियों से बात करते हुए उनकी तरफ इशारा कर रहे थे.
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